बदलते जमाने के साथ बदल गयी डाकघरों की कार्यशैली

यह संस्था अब बैंकिंग के क्षेत्र में काम कर रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 5, 2024 10:10 PM

विश्वनाथ पांडेय, औरंगाबाद. बदलते जमाने में नित्य नये-नये फैशन व मोबाइल के प्रचलन साथ डाकघरों की कार्यशैली बदली है. संचार सेवाओं के लिए स्थापित यह संस्था अब बैंकिंग के क्षेत्र में काम कर रही है. डाकघरों के पत्र पेटी की उपयोगिता कम हो गयी है. अंबा व कुटुंबा पोस्ट ऑफिस के सामने एक बड़े आकार की पत्र पेटी लगी है, जिसे रोज खोला जाता है, पर इसमें महज दो-चार पत्र ही मिलते हैं. यहां तक कि कभी-कभार पत्र-पेटी खाली ही रह जाती है. इधर, डाकघरों में आने वाले पत्रों की फ्रीक्वेंसी घटी है. अब सिर्फ डाकघर के तहत आधार कार्ड, एटीएम, चेकबुक व सरकारी या रजिस्टर्ड पत्र ही आते हैं. अंबा डाकघर में प्रतिदिन 30 से 40 रजिस्टर्ड पत्र आते हैं. संचार के ऑनलाइन सिस्टम के चलते यह परिवर्तन हुआ है. ज्यादात्तर मोबाइल व अन्य माध्यमों के जरिए लोग संवाद का आदान-प्रदान कर रहे हैं. इसका परिणाम है कि लिफाफा, अंतर्देशीय व पोस्टकार्ड की उपयोगिता तकरीबन खत्म होती हो चुकी है. पोस्ट ऑफिस में अब कोई शायद ही लिफाफा, अंतर्देशीय व पोस्टकार्ड खोजने आता हो. नये जमाने के बच्चों के लिए लिफाफा, अंतर्देशीय व पोस्टकार्ड अतीत की चीज बनकर रह गयी है. वैसे डाककर्मी बताते हैं कि यदि किसी व्यक्ति को पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय व लिफाफा की जरूरत होगी, तो उपलब्ध कराया जा सकता है. पर इसकी आपूर्ति नहीं के बराबर है. अब सिर्फ रिवेन्यू टिकट के लिए जाते हैं लोग पोस्ट ऑफिस में अब टिकट की बिक्री भी बहुत कम होती है. हालांकि, रेवेन्यू टिकट अब भी बिकते हैं. पहले लोग पत्र भेजने के लिए टिकट खरीद करते थे पर अब वह स्थिति नहीं है. पत्रों के रजिस्ट्री का सिस्टम भी ऑनलाइन हो गया है. इसलिए उस पर भी अब टिकट साटने की जरूरत नहीं होती है. रुपये भेजने के लिए पहले मनीऑर्डर का प्रयोग होता था. वैसे अभी भी यह सिस्टम जीवित है पर ऑनलाइन हो गया है. ऐसे मनीऑर्डर भी अब कम ही लोग भेजते है. पहले बाहर काम करने वाले लोगों के लिए पैसे घर भेजने का यह सबसे सशक्त और विश्वसनीय माध्यम माना जाता था. इधर, मोबाइल के जरिये रुपयों के ऑनलाइन ट्रांजक्शन से मनीऑर्डर की उपयोगिता घटी है. बदले परिस्थितियों में पोस्ट ऑफिस भी अब बैंक की तरह काम कर रहे हैं. जिले के अधिकतर डाकघर शाखा का कंप्यूटरीकरण हो चुका है. ग्राहकों के खाते खोले जा रहे हैं. रुपयों का लेनदेन जारी है. ग्राहकों को एटीएम कार्ड दिये जा रहे हैं. पोस्ट ऑफिस के खाते से भी रुपयों का ऑनलाइन ट्रांजेक्शन हो रहा है. इसमें भी ग्राहकों को कोई दिक्कत नहीं हो रही है. भारत सरकार की संस्था होने के चलते लोगों का विश्वास भी पोस्ट ऑफिस से जुड़ा है. सरकारी योजनाओं का लाभ भी लोगों को पोस्ट ऑफिस के खाते के जरिये मिल रहा है. अंबा डाकघर के पोस्ट मास्टर संजय कुमार सिंह स्वीकार करते हैं कि बदलते जमाने के साथ पोस्ट ऑफिस की भी कार्य शैली बदली है व ग्राहकों को हर संभव बेहतर सेवाएं दी जा रही है. खत्म हो गया बैरन भेजे जाने वाले पत्र का जमाना डाकघर के जरिये बैरन भेजे जाने वाले पत्र का जमाना खत्म हो चुका है. पहले के दिनों में अति आवश्यक पत्रों को लोग बैरन भेज दिया करते थे. हालांकि, बैरन पत्रों में पत्र प्राप्त करने वाले लोगों को दोगुना चार्ज जमा करना पड़ता था पर वे इसे अति आवश्यक समझकर जरूर छुड़ाते थे. इधर, पोस्ट ऑफिस की कमाई भी बैरन पत्र पहुंचने पर दोगुनी होती थी. ऐसी स्थिति में बेहद जरूरी पत्रों को लोग बैरन भेज दिया करते थे, लेकिन यह सिस्टम अब मर चुका है. बैरन पत्र के साथ-साथ जवाबी पोस्टकार्ड की बात तो अब सुनने को भी नहीं मिलती है. क्या बताते हैं प्रधान डाकपाल जिला मुख्यालय औरंगाबाद के प्रधान डाकपाल बैजनाथ प्रसाद ने बताया कि रजिस्ट्री, स्पीड पोस्ट, पार्सल, पैन कार्ड व आधार कार्ड के अलावे सरकारी पत्र उपलब्ध कराने का उचित माध्यम पोस्ट ऑफिस है. वैसे एक दूसरे को बधाई देने के लिए लोग यदा-कदा पोस्टकार्ड भी खरीदते है.

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