अंबा. जिले के दक्षिणी क्षेत्र में गुरुवार की शाम मूसलाधार बारिश हुई. मॉनसून की बारिश से सूखे खेतों में पानी दिखने लगा है. पुष्य नक्षत्र की बारिश से खेतिहरों ने भी राहत की सांस ली है. मायूस किसानों के बीच एक बार भी खरीफ खेती शुरू होने की उम्मीद जगी है. हालांकि, धान रोपनी का उपयुक्त पुनर्वस नक्षत्र बीतने के बाद भी अधिकांश किसानों ने धान की रोपनी शुरू नहीं की थी. बारिश होने से बिचड़े हरे-भरे दिखने लगे है. स्थानीय किसान शिवनाथ पांडेय, मृत्युंजय सिंह, अरुण यादव आदि ने बताया कि इस बार कोयल नहर के फेल होने से किसानों को काफी दिक्कत हुई है. ऐसे कृषि वैज्ञानिक डॉ नित्यानंद की माने तो अभी जुलाई के अंतिम सप्ताह तक लंबी अवधि की धान की रोपनी की जा सकती है. इसके बाद किसानों को मध्यम अवधि के धान की फसल लगाना चाहिए. अगर किसान अगस्त माह में मंसूरी जैसै वेराईटी की फसल लगाते हैं, तो उत्पादन लागत में ह्रास होगा. इस संबंध में डीएओ राम ईश्वर प्रसाद से संपर्क करने पर बताया कि औरंगाबाद में इस बार एक लाख 75 हजार 493 हेक्टेयर धान रोपनी का लक्ष्य है. इस बार अब तक निर्धारित लक्ष्य के विरुद्ध मात्र छह प्रतिशत हीं धान की फसल लगायी गयी है. मौसम वैज्ञानिक डॉ अनूप कुमार चौबे ने बताया कि औरंगाबाद में पूरी तरह से मानसून सक्रिय नहीं है. मौसम पूर्वानुमान के अनुसार तीन-चार दिनों तक आसमान में बादल छाय रहेंगे. इस दौरान छिट-फुट जगहों पर कहीं हल्की, कहीं मध्यम तो कहीं भारी बारिश भी हो सकती है. बारिश होने तथा उपलब्ध संसाधन के अनुरूप किसान धान की रोपाई करने का प्रयास करें.
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