बराज का वाटर लेबल मेंटेन करने के लिए 2.3 मीटर पानी की जरूरत औरंगाबाद/कुटुंबा. प्रमुख खरीफ फसल धान की नर्सरी गिराने का समय धीरे-धीरे बीतता जा रहा है. अभी तक जिले के उत्तरी क्षेत्र में छह प्रतिशत व दक्षिणी क्षेत्र में मात्र एक प्रतिशत भूमि में बिचड़ा गिराया गया है. कहीं भी जलाशयों में पानी नहीं रह गया है. मनरेगा का अमृत सरोवर बेकार साबित हो रहा है. उत्तर कोयल नहर के भीम बराज में जितना कम पानी है, उससे कैनाल का संचालन संभव नहीं है. किसान आसमान की ओर टकटकी लगाये हुए हैं. बारिश हो नहीं रही है. अभी तक प्रकृति की निगाहें बिल्कुल बेरुखी हैं. मौसम विभाग की बात मानें, तो अभी पांच दिनों के बाद औरंगाबाद में मॉनसून प्रवेश करने की संभावना जतायी गयी है. वैसे आगामी बरसात को देखते हुए उत्तर कोयल नहर की लाइनिंग का कार्य चार-पांच दिनों के बाद स्थगित होने वाला है. विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस वर्ष झारखंड पोरसन में तीन किलोमीटर और बिहार में 3.5 किलोमीटर दूरी में सीएनएस वर्क और लाइनिंग का कार्य किया गया है. वहीं विभिन्न जगहों पर नौ पुल-पुलिया का निर्माण कार्य अंतिम स्टेज में है. इसके लिए वाप्कोस की ओर से आधुनिक मशीनरी का प्रयोग किया गया है. हालांकि, कतिपय कारणों से रिमॉडलिंग नहर का लाइनिंग कार्य रफ्तार नहीं पकड़ सका है. इसके बावजूद भी वर्षों से अटकटी, भटकती व लटकती सिंचाई परियोजना के रिमॉडलिंग कार्य शुरू होने से किसानों में खासा उत्साह है. वैसे तो वर्ष 1972 में उत्तर कोयल सिंचाई परियोजना का सृजन कार्य शुरू किया गया था. इसके 21 वर्षों के बाद बिहार सरकार के वन विभाग की आपत्ति पर सभी तरह के सरंचनाओं पर रोक लगा दी गयी. इसका मुख्य वजह था कि कुटकू डैम का डूब क्षेत्र में आने वाली भूमि टाइगर प्रोजेक्ट का भूभाग. इस बीच केंद्र सरकार की उदासीनता की वजह से 2007 से लेकर 2013 तक सिंचाई परियोजना मृत प्राय: हो गयी थी. इधर, पूर्व सांसद सुशील कुमार सिंह के प्रयास से कोयल नहर का कार्य चल रहा है. सीडब्ल्यूसी की टीम कर रही मॉनिटरिंग केंद्रीय जल आयोग की टीम ने बुधवार को झारखंड में भ्रमण कर कोयल नहर के लाइनिंग कार्यों का निरीक्षण किया. सीडब्ल्यूसी दिल्ली के डायरेक्टर प्रमोद नारायण, जल संसाधन विभाग औरंगाबाद के एसइ अर्जुन प्रसाद सिंह व झारखंड के मेदनीनगर के एसइ विश्वास तांती समेत अन्य टेक्निकल अधिकारी शामिल थे. अधिकारियों ने बताया कि निमार्ण कार्य में क्वालिटी और क्वांटिटी से समझौता नहीं किया जायेगा. जानकारी के अनुसार, झारखंड के भीम बराज के जीरो आरडी से लेकर नहर के अंतिम छोर के 358 आरडी तक यानी 31.40 किलोमीटर के बाद से लेकर 109.09 किलोमीटर कुल 77.69 किलोमीटर दूरी में मेन कैनाल में लाइनिंग कार्य कराया जाना है. लाइनिंग कार्य के दौरान पुराने जमाने के टाइल्स को हटा कर बाहर निकाल देना है. इसके साथ ही मोरम के साथ अच्छी क्वाइलिटी की मिट्टी मिलाकर सीएनएस किया गया है. रौलर से लेवलिंग व कंप्रशेर मशीन से कंपेक्शन करने के बाद उसे लोअर डेनसिटी पॉलीथिन बिछाकर कंक्रीट से ढलाई करायी जा रही है. इस दौरान संकीर्ण पुलिया को हटाकर उसे बेहतर बनाया जा रहा है. वहीं आधुनिक डिजाइन के पुल निर्माण के दौरान बीच का पाया हटाया जा रहा है. इस बीच सिर्फ पुल के दोनों साइड में पाया रखे जायेंगे. इससे नहर का जल प्रवाह अवरोध नहीं होगा. कल बिहार में होगा निरीक्षण कल यानि शनिवार को केंद्रीय जल आयोग की टीम बिहार पोरसन में सभी तरह से सरंचनाओं का निरीक्षण कर आवश्यक दिशा-निर्देश देंगे. उन्होंने बताया कि मुख्य नहर के 172 आरडी के समीप बतरे नदी में दो साइफन का और निर्माण कराया जा रहा है. इसके पहले मात्रा दो अंडर ग्राउंड साइफन से पानी डिस्चार्य किया जाता था. दोहरे साइफन बनाने से नहर के जल प्रवाह रफ्तार पकड़ लेगा. इसके बाद गया जिले के विभिन्न प्रखंडो़ में नहर के पानी पहुंचाने में विभाग को सहूलियत होगी. किसानों को भरपूर लाभ मिलेगा. क्या कहते हैं अधीक्षण अभियंता अधीक्षण अभियंता अर्जुन प्रसाद सिंह ने बताया कि फिलहाल बराज में मात्र 60 सेंमी पानी है. पौंड लेबल मेंटेन कर राइट साइड कैनाल को संचालन करने के लिए 2.3 मीटर पानी की जरूरत है. बराज में जल भंडारण होने के बाद एक जुलाई से सिंचाई के लिए नहर में पानी छोड़ दिया जायेगा. उन्होंने बताया कि जहां पर नहर में पुल-पुलिया का कार्य कंप्लीट नहीं है, वहां पर आवागमन बरकरार रखने के लिए अस्थायी बैली ब्रीज बनाये जायेंगे.
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