छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू, आज डूबते सूर्य को देंगे अर्घ
छठ महापर्व को लेकर सूर्य नगरी देव में अलग ही माहौल है.
औरंगाबाद. छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान के दूसरे दिन शनिवार को व्रतियों ने विधि-पूर्वक खरना किया. खरना की विधि पूर्ण होने के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया. जो सोमवार को उगे सूर्य को अर्घ देने के बाद समाप्त होगा. आज रविवार को अस्ताचल सूर्य को अर्घ दिया जायेगा. रविवार को छठ का उपवास होने के कारण व्रतियों की आस्था काफी बढ़ गयी है. इधर खरना को लेकर सभी छठ घाटों पर व्रती व श्रद्धालु सुबह से ही पहुंचने लगे थे. शहर के अदरी नदी घाट, कर्मा रोड चहका घाट, सतचंडी घाट, दोमुहान घाट समेत सभी घाटों पर काफी संख्या में व्रती पहुंचे थे. व्रतियों ने पहले नदी व तालाबों में डुबकी लगाई और फिर खीर व पूड़ी का प्रसाद ग्रहण कर खरना का अनुष्ठान पूर्ण किया. इसके बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास प्रारंभ हो गया. शहर के घाटों पर भी श्रद्धालुओं की सुविधा का पूरा इंतजाम किया गया है. आकर्षक लाइटों व फूलों से घाटों व मंदिरों को सजाया गया है. वहीं, सुरक्षा के कड़े इंतजाम भी किये गये हैं. छठ महापर्व को लेकर सूर्य नगरी देव में अलग ही माहौल है. देव में श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला जारी है. व्रतियों ने सूर्यकुंड तालाब में स्नान किया और फिर भगवान सूर्य को जल अर्पित किया. इसके बाद खरना का प्रसाद तैयार किया. शुद्धता का ख्याल रखते हुए मिट्टी के चूल्हे पर खरना का प्रसाद बनाया गया. फिर इसे ग्रहण किया. प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक लाखों श्रद्धालुओें के पहुंचने की उम्मीद से उसी अनुसार मेले की तैयारी भी की गई है. सूर्यकुंड तालाब में व्रतियों ने स्नान के बाद सूर्य को जल अर्पित कर मंदिर में पूजा-अर्चना भी की. देव सूर्य मंदिर में भी पूरे दिन दर्शन व पूजन करने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. छठ मेला में सुरक्षा के पोख्ता इंतजाम किये गये हैं. जगह-जगह पुलिस बलों को तैनात किया गया है, जो श्रद्धालुओं को सहयोग कर रहे हैं. डीएम श्रीकांत शास्त्री व एसपी स्वप्ना जी मेश्राम द्वारा लगातार विधि व्यवस्था पर नजर रखी जा रही है. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बैरिकेडिंग की गयी है. जबकि आवागमन को सुलभ बनाने के लिए कई रास्ते को वन वे किया गया है. ज्ञात हो कि देव में साल में दो बार कार्तिक व चैत माह में छठ मेला का आयोजन होता है, जिसमें देश के कोने-कोने से लोग यहां पहुंचते हैं और सूर्य की उपासना करते हैं. इकलौता पश्चिमाभिमुख मंदिर होने के कारण यहां की महिमा अपरंपार है. छठ को लेकर सभी घाट गुलजात हो गये. महिलाओं द्वारा गाये जा रहे पारंपरिक छठ गीत से घाट गुंजायमान हो गया. इधर, पूजन सामग्री खरीदने के लिए बाजार में भी खरीदार पहुंचते रहे. सामान्य दिनों की अपेक्षा बाजार में अधिक भीड़ दिखी.
व्रतियों के बीच दूध का किया गया वितरण
फोटो- 25- व्रतियों के बीच दूध वितरण करते युवा