गया. बांझपन का मुख्य कारण महिलाओं में अंडाणु की समस्याएं, फैलोपियन ट्यूब रुकावट, एंडोमेट्रियोसिस, हार्मोनल असंतुलन, पुरुषों में शंक्राणु की कमी या गुणवत्ता में कमी, वीर्य वाहिनी रुकावट, हार्मोनल असंतुलन और संक्रमण के है. उक्त बातें मगध ऑब्स एंड गायनी सोसाइटी (एमओजीएस) की भारतीय फर्टिलिटी सोसाइटी (आइएफएस) के साथ मिलकर आयोजित कार्यशाला में रविवार को वक्ताओं ने कहा. उन्होंने कहा कि बांझपन की पहचान होने पर आइवीएफ के विकल्प से लोग इस बोझ से मुक्ति पा रहे हैं. जीवनशैली का असंतुलन भी बांझपन का बड़ा कारण होता है. इसमें धूम्रपान, शराब, मोटापा व तनाव प्रजनन क्षमता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं. इस कार्यक्रम में देश के प्रमुख प्रजनन विशेषज्ञों ने भाग लिया और बांझपन के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार रखे. कार्यशाला में कोलकाता के डॉ रोहित गुटगुटिया, आइजीआइएमएस पटना की संरक्षक डॉ (प्रो) कल्पना सिंह, डॉ रामाधार तिवारी, डॉ श्यामा रानी प्रसाद, डॉ मंजू सिन्हा, उपाध्यक्ष डॉ सुनीता शर्मा व डॉ रीना सिंह, डॉ अमिता सिन्हा मौजूद थे. इस दौरान वक्ताओं ने नवीनतम तकनीक के बारे में जानकारी एक-दूसरे के बीच साझा की. कार्यशाला में डॉ मंजू सिन्हा, डॉ रीना सिंह, डॉ जयश्री सिन्हा, डॉ अमिता सिन्हा, डॉ संगीता सिन्हा, डॉ कुसुम सिंह, डॉ श्वेता रानी, डॉ तेजस्वी नंदन, औरंगाबाद से डॉ रश्मि सिंह, नवादा से डॉ कुमारी रंजीता, डॉ सोनम गुप्ता, गया से डॉ सुषमा सिन्हा, डॉ अनीता कुमारी, डॉ रेणु सिंह, डॉ शाहिस्ता इकबाल, डॉ रूबी कुमारी, डॉ अनुपम चौरसिया, डॉ तेजस्वी नंदन, डॉ प्रीति कुमारी, डॉ मधुबाला, डॉ एकता वर्मा व अन्य एसोसिएट सदस्य डॉ यूएस अरुण, डॉ रतन कुमार, डॉ केके सिन्हा, मीडिया प्रभारी अमृतेश कुमार आदि मौजूद थे.
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