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Ram Mandir Bhoomi Poojan: राम के ससुराल में उत्सव का माहौल, सीतामढ़ी में जलाये जायेंगे 5000 दीये

राम मंदिर के शिलान्यास के इस ऐतिहासिक अवसर को देखने के लिए श्रीराम का ससुराल मिथिला खासकर जानकी की जन्मभूमि सीतामढ़ी में उत्सवी माहौल है. जननी मां जानकी जन्मभूमि क्षेत्र के पांच मंदिरों क्रमश: जानकी स्थान, पुनौरा धाम, हलेश्वर स्थान, सीता डोली स्थल, पंथपाकर धाम व बगही धाम की मिट्टी भी अयोध्या भेजी गयी है.

सीतामढ़ी. राम मंदिर के शिलान्यास के इस ऐतिहासिक अवसर को देखने के लिए श्रीराम का ससुराल मिथिला खासकर जानकी की जन्मभूमि सीतामढ़ी में उत्सवी माहौल है. जानकी जन्मोत्सव आयोजन समिति की ओर से श्रीराम के मंदिर निर्माण में शामिल करने के लिए जगत जननी मां जानकी जन्मभूमि क्षेत्र के पांच मंदिरों क्रमश: जानकी स्थान, पुनौरा धाम, हलेश्वर स्थान, सीता डोली स्थल, पंथपाकर धाम व बगही धाम की मिट्टी भी अयोध्या भेजी गयी है.

आयोजन समिति की ओर से शहर को भगवामय व जिले को श्रीराममय बनाने की पूरी तैयारी की गयी है. जानकी मंदिर समेत पूरे शहर को सजाया जा रहा था. पूरे शहर में भगवा झंडा लगाया जा रहा था. मिट्टी के दीयों की सफाई की जा रही थी.

आयोजन समिति के अध्यक्ष आलोक कुमार व विशाल कुमार के अलावा पुनौरा धाम मंदिर के महंत कौशल किशोर दास व विश्व हिंदू परिषद की ओर से जिले के तमाम मंदिर-मठों समेत जिलेवासियों से बुधवार की सुबह 11.30 से दोपहर 12.30 बजे तक घर-घर में पूजा-पाठ एवं आरती करने तथा शाम 7.00 बजे दीपक जलाकर दीवाली मनाने की अपील की गयी है.

वहीं, विश्व हिंदू परिषद की ओर से शहर समेत आसपास के क्षेत्रों में प्रचार वाहनों को भेजकर हर घर में पूजा-पाठ एवं शाम को दीवाली मनाने की अपील की गयी है. पुनौरा धाम के महंत कौशल किशोर दास ने बताया कि कोरोना को लेकर जारी सरकारी निर्देशों का अनुपालन करते हुए मंदिर में 5000 दीये जलाये जायेंगे. जानकी स्थान मंदिर में भी हजारों दीये जलाने की तैयारी की गयी है.

गौरवान्वित करने वाली बात यह है कि जिस भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम राम की पूजा की जाती है, उन्हें मिथिला वासियों को गाली देने का अधिकार प्राप्त है. भगवान श्री राम को मिथिला के लोग पाहुन मानते है. विवाह पंचमी के अवसर पर अयोध्या से आने वाली बरात का सीतामढ़ी की धरती पर आगमन के बाद बरातियों को गाली देने की परंपरा शुरू हो जाती है.

भगवान श्रीराम को केवल मिथिला में ही गाली दी जाती थी, जो उन्हें बहुत भाता था. उनका मन मिथिला की भूमि पर इतना रम गया था कि वे बरातियों समेत करीब सवा महीने मिथिला में रुकने के बाद माता सीता के साथ अयोध्या लौटे थे.

posted by ashish jha

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