पटना. बिहार के स्कूलों में नर्सरी से ही बच्चों को आयुर्वेद और योग पढ़ाने की तैयारी चल रही है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद के विशेषज्ञों ने पाठ्यक्रम का ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया है. ड्राफ्ट को अभी केंद्र सरकार के स्कूली शिक्षा एवं साक्षात्कार विभाग को भेजा गया है. उम्मीद है जल्द ही वहां से मंजूरी मिल जायेगी और पाठ्यक्रम में शामिल हो जायेगा. इस बात की जानकारी आयुष मंत्रालय की ओर से लोकसभा में सरकार के मंत्री ने दी है.
सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पांडेय ने बताया कि केंद्र सरकार की इच्छा रही है कि हजारों वर्ष पुराना आयुर्वेद– योग की गंभीरता से लागू किया जाये. इधर, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष (इलेक्ट) डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बच्चों को शुरू से ही योग की पढ़ाई या अभ्यास कराया जाये तो उन्हें कई बीमारियों से बचाया जा सकता है. जैसे सांस की बीमारी या फिर पेट की बीमारी लगने की आशंका नहीं रहेगी. बच्चे स्वस्थ रहेंगे. पाठ्यक्रम में शामिल होने पर बच्चों को इसकी जानकारी तो होगी ही साथ ही साथ वे अभ्यास भी करेंगे.
राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल, पटना के उपाधीक्षक डॉ. धनंजय शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार इस संबंध में जल्द ही बिल लाने जा रही है. इससे बच्चों को योग और आयुर्वेद की शिक्षा मिलने से काफी लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी ने सभी को मजबूत इम्यूनिटी का मतलब समझा दिया है. इसके लिए आयुर्वेद-योग से बढ़कर कुछ नहीं.
इस बीच, दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) ने योग में एक वर्षीय पीजी डिप्लोमा के लिए रिक्त सीटों पर एक बार फिर से आवेदन आमंत्रित किया है. परीक्षा नियंत्रक रश्मि त्रिपाठी ने पीजी डिप्लोमा इन योग पाठ्यक्रम में नामांकन के लिए इच्छुक अभ्यर्थी 26 दिसंबर तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि ऑनलाइन आवेदन https://www.cusbadmission.samarth.edu.in/ पर उपलब्ध है.