आनंद तिवारी, पटना. अगर आप आयुर्वेद, होमियोपैथ या यूनानी दवाओं का सेवन कर रहे हैं और उसकी गुणवत्ता पर संदेह है या कोई साइड इफेक्ट होता है, तो अब इसकी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. इसकी शिकायत शहर के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में होगी. इसके लिए कॉलेज में पेरिफेरल फार्मकोविजिलेंस सेंटर (पीपीवीसी) बनाया गया है, जहां कोई भी व्यक्ति कॉलेज में आकर ऑफलाइन या फिर ऑनलाइन शिकायत कर सकते हैं. इन शिकायतों के आधार पर केंद्र सरकार संबंधित दवा की गुणवत्ता की जांच कर निर्माता कंपनियों को सुधार करने का निर्देश देगी. अगर निर्देश का पालन नहीं किया गया, तो ड्रग एवं औषधि अधिनियम के तहत कार्रवाई की जायेगी.
दवाओं के साइड इफेक्ट व मरीजों की सुविधा को देखते हुए केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने देश के 17 आयुर्वेदिक कॉलेजों में फार्माको विजिलेंस सेंटर (एडीआर) खोलने का निर्णय लिया है. इनमें पटना के आयुर्वेदिक कॉलेज को भी शामिल किया गया है, जहां जल्द ही कार्य शुरू होने का दावा किया गया है. यहां पर दर्जशिकायतों को कॉलेज प्रशासन की ओर से जयपुर सेंटर में भेजा जायेगा. फिर वहां से दिल्ली आयुष मंत्रालय में शिकायत की कॉपी जायेगी. वहीं, बिहार में अब तक आयुष से जुड़ी दवाओं से संबंधित शिकायत दर्ज कराने के लिए कोई उपयुक्त सरकारी प्लेटफॉर्म नहीं था.
आयुष से संबंधित गलत व भ्रामक विज्ञापनों पर भी अब रोक लगाने की कवायद शुरू की जा रही है. जानकारों के अनुसार खासकर ग्रामीण इलाकों में विज्ञापन के माध्यम से दवा विशेष के सेवन से लंबाई बढ़ाने या मर्दाना कमजोरी को दूर करने, शक्तिवर्धन करने, तिल हटाने, गोरा बनाने आदि के दावे करने वाली दवाओं के खिलाफ भी शिकायत करने की तैयारी की गयी है. पीपीवीसी के माध्यम से संबंधित गलत व भ्रामक विज्ञापन पर शिकायत के बाद एडीआर के सदस्य कार्रवाई करेंगे.
क्या कहते हैं प्रिंसिपल आयुष के दवाओं की गुणवत्ता व साइड इफेक्ट को देखते हुए आयुष मंत्रालय की ओर से देश में 17 कॉलेजों को चुना गया है, जिनमें पटना का राजकीय आयुर्वेद कॉलेज भी शामिल है. कॉलेज में जल्द ही पेरिफेरल फार्मकोविजिलेंस सेंटर (पीपीवीसी) बनाया जायेगा, जहां पीड़ित लोग शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
-डॉ संपूर्णानंद तिवारी, प्रिंसिपल राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज, पटना