आयुष्मान कार्ड निर्माण की धीमी गति के कारण पटना जिले के करीब 25 लाख से अधिक लाभार्थी आयुष्मान योजना का लाभ लेने से वंचित हो रहे हैं. केंद्र सरकार ने पटना जिले में कुल 29 लाख लोगों को लिस्ट किया है. चार साल में अब तक सिर्फ 3.41 लाख लोगों के कार्ड बने हैं. एक साल पहले शुरू की गई गोल्डन कार्ड योजना के तहत भी, पटना जिला सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर जैसे जिलों से पिछड़ गया था. 2021-22 में जहां सीतामढ़ी में 72063, मुजफ्फरपुर में 47694, पटना में मार्च 2022 तक 44317 और दिसंबर 2022 तक करीब 49987 कार्ड बने थे. जिले में कार्ड बनाने की धीमी गति के कारण सही तरीके से गरीब मरीज नहीं मिल रहे हैं.
पटना जिले में पांच लाख 55 हजार 543 परिवारों के 29 लाख 90 हजार 294 गरीब कार्ड के लिए सूचीबद्ध हैं. इनमें से अब तक तीन लाख 41 हजार परिवारों का ही कार्ड बनाया जा सका है. हालांकि इससे अब तक करीब 60 हजार से अधिक लोग मुफ्त इलाज करा चुके हैं. वहीं पटना सिविल सर्जन डॉ केके राय का कहना है कि आयुष्मान कार्ड के नाम या जन्मतिथि का आधार कार्ड के नाम से मिलान भी कार्ड बनाने में बड़ी बाधा बनता जा रहा है. यदि नाम नहीं मिलता है, तो सॉफ्टवेयर कार्ड बनाने की प्रक्रिया को अस्वीकार कर देता है. इसके अलावा सूची में नाम की जानकारी 14555 पर कॉल करके भी प्राप्त की जा सकती है.
आयुष्मान भारत योजना का लाभ मुजफ्फरपुर के लोगों को मिल रहा है. जिले में तीन लाख 61 हजार 944 लोगों का कार्ड बनाया गया है. अभी तक 41 हजार 177 लाभुकों ने अपना इलाज अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड से कराया है. निजी अस्पतालों में इलाज कराने वाले लोगों की संख्या 26 हजार 244 है. कार्ड से निजी अस्पतालों काे 13 कराेड 41 लाख 24 हजार 27 रुपये का भुगतान किया गया है. वहीं सरकारी अस्पतालों में 14 हजार 933 मरीजों ने इलाज कराया. इसके एवज में 26 हजार 244 रुपये का भुगतान किया गया.
मुजफ्फरपुर के जिला समन्वयक विद्यासागर ने कहा कि औसतन 25-35 मरीज निजी व सरकारी अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड से अपना इलाज करा रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब डिजिटल मिशन के तहत रजिस्टर्ड अस्पतालाें के चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ काे पोर्टल पर निबंधित किया जा रहा है. इसकी जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध होगी. जिले में 43 निजी अस्पतालाें व 19 सरकारी अस्पतालों का आयुष्मान कार्ड से इलाज कराने के लिए अनुबंध किया गया है. इस कार्ड से लाभार्थी देश के किसी भी अस्पताल में पांच लाख रुपये तक का इलाज करा सकते हैं.