Azadi Ka Amrit Mahotsav: 24 साल तक फलाहार पर रहे थे सुपौल के अच्युतानंद झा, दांडी यात्रा में हुए थे शामिल

स्वतंत्रता सेनानी (Freedom fighter) पंडित अच्युतानंद झा अंग्रेजी शासन के विरुद्ध पहले दांडी यात्रा (Dandi Yatra) में शामिल हुए. पारिवारिक दायित्व का बोझ बढ़ने के बावजूद उन्होंने देश हित को प्राथमिकता देते हुए आजादी का संघर्ष जारी रखा.

By Prabhat Khabar News Desk | August 11, 2022 6:45 AM

सुपौल: सदर प्रखंड स्थित जगतपुर निवासी स्वतंत्रता सेनानी पंडित अच्युतानंद झा साथियों के बीच बाबा के नाम से जाने जाते थे. बाबा ने अपना जीवन देश के लिये न्योछावर कर दिया. उनके अंदर बचपन से ही देश भक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी. जो उम्र बढ़ने के साथ ही देश के लिये समर्पण हेतु धधकने लगा और वे स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े.

दांडी यात्रा में हुए थे शामिल

स्वतंत्रता सेनानी पंडित अच्युतानंद झाअंग्रेजी शासन के विरुद्ध पहले दांडी यात्रा में शामिल हुए. पारिवारिक दायित्व का बोझ बढ़ने के बावजूद उन्होंने देश हित को प्राथमिकता देते हुए आजादी का संघर्ष जारी रखा.

आजादी के बाद नहीं लिया पेंशन

9 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन में भी शामिल हुए. इसके बाद अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें हिरासत में लेकर सलाखों के अंदर पहुंचा दिया. अंग्रेजों ने उन्हें जेल में भी प्रताड़ित किया. उस समय अंग्रेजों ने जगतपुर स्थित डाक बंगला में डेरा डाल रखा था. अंग्रेज सिपाहियों ने उनके घर पर भी तोड़-फोड़ व तबाही की.

आजादी के बाद नहीं लिया पेंशन

आजादी के बाद स्वतंत्रता सेनानियों के लिए केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय सम्मान पेंशन योजना की शुरुआत की गयी तो बाबा ने पेंशन के लिए अपना नाम और जरूरी कागजात देने से इंकार कर दिया. कहा कि देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने की मजदूरी उन्हें नहीं चाहिए. कई नेताओं द्वारा उन्हें पेंशन लेने के लिए समझाया बुझाया गया. लेकिन वे नहीं मानें.

24  साल तक फलाहार पर रहे थे बाबा अच्युतानंद झा

बता दें कि स्वतंत्रता सेनानी बाबा अच्युतानंद झा का जन्म 15 अगस्त 1886 व उनकी मृत्यु 09 अगस्त 1971 को हुई थी. देश को आजादी दिलाने की कसम को पूरी करने के लिए उन्होंने 24 वर्षों तक केवल फलाहार कर अपना जीवन व्यतीत किया.

Next Article

Exit mobile version