आजादी के 75 साल पूरा होने का जश्न देश 15 अगस्त 2022 को आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit Mahotsav) के रूप में मनाने जा रहा है. बिहार के भागलपुर में आजादी के पहले की कुछ यादें ऐसी है जो आज भी उन दिनों की याद दिलाती है. ऐसा ही कुछ है भागलपुर शहर में स्थित सैंडिस कंपाउंड मैदान की उन यादों का. जहां एक बरगद का पेड़ सैंकड़ो साल पुराने इतिहास को संजोये आज भी खड़ा है. उस पेड़ के नीचे ब्रिटिश शासन के दौरान कभी अदालत लगा करती थी.
सैंडिस कम्पाउंड के बाहरी भाग में एक बरगद का पेड़ है. यह पेड़ बेहद खास यादों का गवाह रहा है. आज इस बरगद के पेड़ की जवानी जरुर ढल चुकी है. पेड़ के अस्तित्व पर संकट नजर आ रहा है लेकिन इसके साथ कुछ ऐसी यादें जुड़ी हुई हैं जो लोगों को उस जमाने में लेकर चली जाती है जब इस देश में ब्रिटिश हुकूमत चलता था. दरअसल इस पेड़ का इतिहास सैंकड़ो साल पुराना है. सैंडिस कम्पाउंड के बाहरी भाग में खड़ा यह बरगद आज गिरने के कगार पर ही है. इसे बचाने के लिए कइ बार लोग आवाज उठाते रहे हैं.
तिलकामांझी भागलपुर विश्चविद्यालय के प्रोफेसर व इतिहास के जानकार सुनील सिंह इस बरगद के पेड़ का इतिहास बताते हैं. इस बरगद के पेड़ के बारे में कहते हैं कि यह अवशेष उस पेड़ की कहानी है जिसमें सैंडिस कम्पाउंड का इतिहास छुपा है. बताते हैं कि सन 1857 से 1860 के बीच एक मि.आई सैंडिस नाम के जिला जज हुए. वो पहले जिला जज बनकर आए. सैंडिस यहां दूसरी बार भी जिला जज बनकर 1863 में आए.
जज सैंडिस के बारे में इतिहास के प्रोफेसर सुनील सिंह बताते हैं कि उनकी एक आदत अजीब सी थी. वो इस कम्पाउंड में अवस्थित इस बरगद को बहुत प्यार करते थे. जज सैंडिस अक्सर इस बरगद पेड़ के नीचे ही कोर्ट लगा दिया करते थे. वो कभी कभार इस पेड़ पर बैठकर भी बहस सुना करते थे.
जज आई सैंडिस आदतन रोज एक जगह पर ही एक डलिया या बाल्टी मिट्टी उत्तर पश्चिम दिशा में फेंका करते थे. इस काम को उनके साथ-साथ उनका पूरा अमला करने लगा और उनके काल में यहां मिट्टी का एक टीला तैयार हुआ. वो टीला आज भी यहां देखा जा सकता है. बताते हैं कि जिला जज सैंडिस की याद में ही इस मैदान का नाम सैंडिस कम्पाउंड पड़ा.
Published By: Thakur Shaktilochan