मधुबनी. जिले में गरीब, बीपीएल व लावारिस शव के अंतिम संस्कार के लिए संचालित कबीर अंत्येष्टि अनुदान योजना कागजों में ही दफन हो गई है. हालात यह है कि वर्ष 2017 के बाद से अभी तक जिले के 175 ग्राम पंचायतों में कोई नया फंड नहीं आया है. सरकारी महकमा की मानें तो जिले के सभी प्रखंडों में पिछले पांच वर्ष में जिलेभर में सिर्फ 5601 गरीबों की मौत हुई है. विभागीय आंकड़े के अनुसार इन पांच साल में 21 प्रखंड के 175 ग्राम पंचायतों में एक भी गरीब की मौत नहीं हुई है. कारण कबीर अंत्येष्टि योजना का लाभ इन पंचायतों में गरीबों को नहीं मिला है. दरअसल यह मामला ऑनलाइन माध्यम से राशि भुगतान किये जाने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद हुआ है.
विभाग के आंकड़ों में गरीबों की नहीं हो रही मौत
आंकड़े के अनुसार साल 2018-19 में 348 लाभुकों का आवेदन प्राप्त हुआ. 345 लोगों को लाभ दिलाया गया. लेकिन बेनीपट्टी, बाबूबरही, बिस्फी, घोघरडीहा, हरलाखी, जयनगर, कलुआही, खजौली, लदनियां, लखनौर, लौकहा, लौकही, मधेपुर, मधवापुर में एक भी बीपीएल परिवार के लोगों की मौत नहीं होने की सूचना है. साल 2019-20 में कमोवेश यही हाल रहा. वहां 450 लोगों को ही लाभ दिलाया गया. इसमें भी अंधराठाढ़ी, बाबूबरही, झंझारपुर, खजौली, लखनौर, लौकहा, मधुबनी, पंडौल, फुलपरास, राजनगर में एक भी मौत की सूचना नहीं है. साल 2020-21 में 945 आवेदन प्राप्त हुए. जिनमें से 930 लोगों को लाभ दिया गया. इस साल भी बेनीपट्टी, हरलाखी, लौकहा, मधवापुर, पंडौल, फुलपरास प्रखंड में एक भी मौत की सूचना नहीं है. साल 2021-22 में सिर्फ 1108 लोगों को लाभ दिया गया. साल 2022-23 में 2067 गरीबों को ही योजना का लाभ मिला. वहीं 2023-24 1046 लोगों को लाभ दिलाया गया है. जबकि बिस्फी, हरलाखी, फुलपरास प्रखंड में एक भी गरीब की मौत नहीं हुई है.
यह है नियम
कबीर अंत्येष्टि योजना के तहत बीपीएल परिवार के गरीबों के शव जलाने के लिए सरकार तीन हजार रुपये सहायता राशि देती है. पहले यह राशि पंचायत के जनप्रतिनिधि एवं पंचायत सचिव सामाजिकता के नाते मृतक के परिजन को नकद दे देते थे. योजना में बिचौलियागिरी समाप्त करने के लिए 2019 से लाभुकों के आवेदन को ऑनलाइन जमा करने के बाद लाभुकों को राशि देने की प्रक्रिया शुरू की गई. लेकिन बिडंबना यह है कि सरकार के इस फैसले के बाद से गरीबों की मौत ही नहीं हो रही है. गरीबों की मौत होती भी है तो पंचायत के जनप्रतिनिधि एवं पंचायत सचिव ऐसे गरीबों को लाभ दिलाने में कोई रुचि नहीं ले रहे.
पंचायत के खाते में 15 हजार रुपये रहता है जमा
कबीर अंत्येष्टि योजना के तहत पांच लाभुकों की राशि हमेशा पंचायत के खाते में जमा रहता है. जैसे ही किसी लाभुक का आवेदन ऑनलाइन किया जाता है. तो लाभुकों के आश्रित को शीघ्र राशि दे दी जाती है. इसके लिए लाभुक के परिजन को एक सादे कागज पर आवेदन लिखकर पंचायत सचिव या फिर पंचायत के जनप्रतिनिधि को देना होता है. बतादें कि इस योजना के तहत सरकारी खाते में राशि कभी खत्म नहीं होती है.
उपयोगिता जमा नहीं करने के कारण रुका है फंड
यह योजना विभिन्न कारणों से खुद दम तोड़ रही है. हालात यह है कि जिले के 175 ग्राम पंचायतों में पांच साल से गरीबों को इस योजना का लाभ नहीं मिला है. पंचायत जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि जिला स्तर से ही पैसा नहीं भेजा रहा है. वहीं प्रशासनिक अधिकारी की मानें तो जिन ग्राम पंचायतों में खर्च की गई राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं आता है. वहां राशि देने में देरी होती है. पांच साल से 175 ग्राम पंचायतों में इस योजना में ग्रहण लगा हुआ है.
आवेदन जमा करने को जरूरी है ये कागजात
2013 से पहले कम दस्तावेज में ही इस योजना का लाभ आसानी से मिल जाता था. लेकिन 2013 के बाद से सबकुछ ऑनलाइन होने के कारण आवेदन की प्रक्रिया में भी बदलाव किये गये हैं. अब इसे और आसान बना दिया गया है. मूल कागजातों में मृत्यु प्रमाणपत्र, आवेदक का आधार कार्ड, बीपीएल सूची या राशन कार्ड की छायाप्रति, मोबाइल नंबर आवेदन के साथ देना जरूरी है.
इन प्रखंडों में पिछले पांच साल में मौत के आंकड़े
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अंधराठाढ़ी —— 246
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बेनीपट्टी———-43
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बिस्फी———–81
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बाबूबरही———295
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कलुआही———385
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खजौली———–544
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लौकहा————395
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लदनियां———–265
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लौकही———–236
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राजनगर———-218
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फुलपरास———45
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मधेपुर————364
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झंझारपुर———-353
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घोघरडीहा——–246
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पंडौल————593
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मधवापुर———-120
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हरलाखी———-57
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लखनौर———-585
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मधुबनी———-446
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जयनगर———150
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बासोपट्टी———279
क्या कहते हैं अधिकारी
जिला सामाजिक सुरक्षा कोषांग के प्रभारी सहायक निदेशक आशीष प्रकाश अमन ने कहा कि योजना का लाभ लेने के लिए मृतक के आश्रित को पंचायत में आवेदन देने के बाद ऑनलाइन होते ही राशि दे दी जाती है. पंचायत के सरकारी खाते में शीघ्र राशि भेज दी जाती है, ताकि हमेशा सरकारी खाते में 15 हजार रुपये जमा रहता है.