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बगहा में हर रोज शिकार कर रहा आदमखोर बाघ, वन विभाग जबड़े से कोसों दूर, डर से घर के अंदर भी नहीं सो रहे लोग

बगहा के हरनाटांड़ क्षेत्र में कई दिनों से आदमखोर बाघ लगातार ग्रामीणों को निशाना बना रहा है. जिलाधिकारी कुंदन कुमार की अध्यक्षता में विशेषज्ञ दल के सदस्यों के साथ बैठक हुई. इसमें हैदराबाद के नवाब शपथ अली खान से अविलंब आदमखोर बाघ को पकड़ने के लिए प्रयास करने का अनुरोध किया गया.

बगहा के हरनाटांड़ क्षेत्र में कई दिनों से आदमखोर बाघ लगातार ग्रामीणों को निशाना बना रहा है. इसी परिप्रेक्ष्य में मुख्य वन्य जीव प्रबंधक एवं जिलाधिकारी कुंदन कुमार की अध्यक्षता में विशेषज्ञ दल के सदस्यों के साथ बैठक हुई. इसमें हैदराबाद के प्रसिद्ध निशानेबाज एवं ट्रैंकुलाइजर एक्सपर्ट नवाब शपथ अली खान से अविलंब आदमखोर बाघ को पकड़ने के लिए प्रयास करने का अनुरोध किया गया. बाघ के क्षेत्र का आकलन वन विभाग द्वारा कर लिया गया है और टीम लगातार निगरानी कर रही है. दल को तीव्र गति से कार्रवाई कर आदमखोर बाघ को पकड़ने के लिए निर्देशित गया है. पटना से आये पारिस्थितिक एवं पर्यावरण निदेशक सुरेन्द्र सिंह लगातार कैंप कर रहे हैं. मुख्य वन्य जीव प्रबंधक प्रभात कुमार गुप्ता इस अभियान की िनगरानी कर रहे हैं.

क्या है आमखोर बाघ की पहचान

मुख्य वन संरक्षक प्रभात कुमार गुप्ता ने बताया कि आदमखोर बाघ की पहचान यह है कि जब भी बाघ शिकार करता है, तो उसे अपने साथ ले जाकर किसी शांत जगह पर रख खून को पीकर चार-पांच घंटों के बाद मांस को खाता है. वह इंसान के सिर को नहीं खाता है. वह बाघ उम्र ढलने के बाद जब शिकार करने की शक्ति को खो देता है तब वह गांव में जाकर इंसानों का शिकार कर भोजन बना लेता है. बाघ आदमखोर होने के बाद जानवरों का शिकार करना छोड़ देते हैं.

50 से अधिक बाघों का होना खतरनाक

प्रभात कुमार गुप्ता ने बताया की किसी भी टाइगर रिजर्व के लिए 50 से अधिक बाघों का होना खतरनाक है. उस टाइगर रिजर्व की भी बाघों समेत अन्य जंगली जानवरों के रहने के लिए एक सीमित जगह है. अगर उस सीमित जगह से अधिक बाघ रहेंगे तो खतरा बना रहता है. उन्होंने बताया कि अभी वीटीआर ने बाघों की संख्या 45 से करीब है. शावकों की संख्या नौ है.

एनटीसीए के दिशा निर्देश पर बाघ का होगा स्थल का चयन

प्रभात कुमार गुप्ता ने बताया कि नेशनल टाइगर कन्जर्वेशन ऑथोरेटिक द्वारा दिशा निर्देश जारी किया गया है कि किसी कम उम्र के बाघ का रेस्क्यू कर उसे बंद चिड़िया घर में कैद नहीं किया जा सकता है. उसे किसी अन्य टाइगर रिजर्व में छोड़ने की बात कही गयी है. उसी के दिशा निर्देश में यहां के बाघ को रेस्क्यू कर एनटीपीसी के दिशा निर्देश पर बाघ को छोड़ा जायेगा.

कैमरा ट्रैक में मिला बाघ के शरीर पर जख्म का निशान

प्रभात कुमार गुप्ता ने बताया कि हमला करने वाले बाघ के शरीर पर जख्म का निशाना देखा गया है. इससे यह लग रहा है कि जंगल के अन्दर बाघ को किसी अन्य बड़े बाघ के साथ झड़प हुई है. इससे उसके कान के साइड में जख्म का निशान पाया गया है. उसी डर से बाघ जंगल के अन्दर जाने का नाम नहीं ले रहा है. वह जंगल के सरेहों की ओर ही अपना मूवमेंट बनाये हुए हैं. अपनी जान बचाने के लिए इंसानों को देख हमला कर दे रहा है.

सूअर व बकरी को बाघ ने बनाया शिकार

चिउटाहा वन क्षेत्र के जिमरी नौतनवा सरेह में चहलकदमी करने वाला बाघ धान के खेतों में पहुंच सूअर व बकरी पर हमला बोल मार डाला है. बिहार के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक सह मुख्य वन्यप्राणी प्रतिपालक प्रभात कुमार गुप्ता ने बताया कि रविवार की देर रात बाघ चहलकदमी करते धान के खेतों में पहुंच सूअर व बकरी पर हमला कर मार डाला है. इससे यह पता चल रहा है कि बाघ शाम होते ही सरेहों में आकर चहलकदमी शुरू कर दे रहा है. इसी को देखते हुए मौजूद सभी अधिकारी रेस्क्यू टीम बाघ के रेस्क्यू के लिए चौबीस घंटे तैनात है. इधर चिउटाहा वन क्षेत्र के मैंनहा के जंगल से बाघ को सामने लाने के लिए जंगल के किनारे एक छोटा भैंसा, बकरी, सूअर आदि को रखा गया है. ताकि बाघ खाने के लालच में किसी तरह पहुंचे और उसका रेस्क्यू किया जा सके. सोमवार देर शाम तक बाघ जंगल से बाहर की तरफ नहीं आया.

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