बख्तियारपुर से रजौली फोरलेन सड़क निर्माण का रास्ता साफ, इस इलाके के लोगों की बदलेगी किस्मत, जानें पूरा प्लान
बिहार में गंगा नदी पर विक्रमशिला सेतु के समानांतर नये फोरलेन पुल सहित रजौली-बख्तियारपुर पैकेज-1 फोरलेन सड़क निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. इन दोनों परियोजनाओं में वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस का इंतजार था, यह मिल चुका है. अब बहुत जल्द फॉरेस्ट क्लीयरेंस भी मिल सकेगा.
बिहार में गंगा नदी पर विक्रमशिला सेतु के समानांतर नये फोरलेन पुल सहित रजौली-बख्तियारपुर पैकेज-1 फोरलेन सड़क निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. इन दोनों परियोजनाओं में वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस का इंतजार था, यह मिल चुका है. अब बहुत जल्द फॉरेस्ट क्लीयरेंस भी मिल सकेगा. विक्रमशिला सेतु के समानांतर नये फोरलेन पुल को बनाने के लिए निर्माण एजेंसी का चयन हो चुका है और केवल वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस नहीं मिलने से इसका निर्माण शुरू नहीं हो पा रहा था. 22 दिसंबर 2022 को इसकी मंजूरी मिलने के बाद अब इसी महीने निर्माण कार्य शुरू हो जायेगा. यह पुल विक्रमशिला सेतु से 50 मीटर दूर पूरब में बरारी में करीब 994.31 करोड़ रुपये की लागत से बनेगा. इसका दोबारा टेंडर जुलाई में एसपी सिंघला के नाम से फाइनल हुआ है.
चार साल में बनेगा पुल
चयनित एजेंसी को चार साल में यानी 2026 तक पुल बना कर तैयार करने की समयसीमा दी गई है. इसके अगले 10 साल तक मेंटेनेंस की जिम्मेदारी एजेंसी की होगी. समानांतर पुल की चौड़ाई 29 मीटर, लंबाई 4.455 किलोमीटर होगी. इस पुल का अप्रोच रोड गंगा नदी के उत्तर नवगछिया की ओर 875 मीटर और दक्षिण भागलपुर की ओर 987 मीटर होगा. यह नव घोषित एनएच 131बी (नवगछिया टू हंसडीहा हाइवे) होगा.
रजौली-बख्तियारपुर पैकेज-1 का होगा टेंडर
रजौली-बख्तियारपुर पैकेज-1 में बिहार-झारखंड की सीमा से सटे दीबौर से हरदिया तक फोरलेन सड़क का निर्माण करीब आठ किमी लंबाई में होना है. इसमें वाइल्ड लाइफ और फॉरेस्ट क्लीयरेंस का इंतजार किया जा रहा था. वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस मिलने के बाद बहुत जल्द फॉरेस्ट क्लीयरेंस मिलने की संभावना है. ऐसे में इसका बहुत जल्द टेंडर कर इसी साल निर्माण पूरा होने की संभावना है. दरअसल रजौली से बख्तियारपुर फोरलेन सड़क का तीन पैकेज में करीब 107 किमी लंबाई में निर्माण होना है. इसमें से दो पैकेज का करीब तीन हजार करोड़ की लागत से करीब 99 किमी लंबाई में निर्माण हो रहा है. ऐसे में पहले पैकेज का निर्माण नहीं होने से यह परियोजना अटकी हुई थी.