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बिहार: दरभंगा के प्रसिद्ध श्यामा मंदिर में बलि देने पर लगी रोक, महिषा के सामने डाल दी गयी मिट्टी

मिथिला के प्रसिद्ध शक्ति साधना केंद्र श्यामा मंदिर में बलि प्रदान पर रोक लगा दी गयी है. मां श्यामा मंदिर न्यास समिति ने बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के आदेश पर यह कदम उठाया है. जिसके बाद अब सूचना पट पर बलि प्रदान से संबंधित शुल्क का विवरण ढक दिया गया.

मिथिला का प्रसिद्ध व प्रमुख शक्ति केंद्र दरभंगा के श्यामा मंदिर में बलि प्रदान पर मां श्यामा मंदिर न्यास समिति ने रोक लगा दी है. समिति ने बलि प्रदान के लिए मंदिर के गर्भगृह के सामने स्थापित महिषा के सामने मिट्टी डाल दिया है. बलि प्रदान के लिए निर्धारित शुल्क लेकर रसीद दिये जाने पर रोक दी गयी है. विभिन्न पूजन के लिए निर्धारित शुल्क से संबंधित सूचना पट्ट पर इससे संबंधित जानकारी को ढक दिया गया है. इस निर्णय से लोगों में जबरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है. सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर इसके विरोध में पोस्ट की बाढ़ सी आ गयी है. लोग इसे आस्था पर आघात बता रहे हैं. न्यास समिति ने यह कदम बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के अध्यक्ष के स्तर से जारी पत्र के आलोक में उठाया है.

दरभंगा महाराज रामेश्वर सिंह की चिता पर है मंदिर

यह मंदिर दरभंगा महाराज रामेश्वर सिंह की चिता पर है. यहां तांत्रिक पद्धति से माता की पूजा-अर्चना की जाती है. इस चिता भूमि पर वैवाहिक संस्कार सरीखे मांगलिक आयोजन भी होते हैं. शक्ति पीठ की तर्ज पर शास्त्रानुसार यहां बलि प्रदान करने की परंपरा है, जिसे नव गठित न्यास समिति ने रोक दिया है.

नवाह के दौरान दिखी थी झलक

नव गठित मां श्यामा मंदिर न्यास समिति के मौजूदा निर्णय की झलक इसी महीने की शुरुआत में आयोजित अखंड नवाह नामधुन महायज्ञ के शुभारंभ के दौरान मिल गयी थी. बताया जाता है कि शुभारंभ के दौरान मंच पर अचानक एक बकरी का बच्चा चला गया. उसके गले में एक माला पड़ी थी. इस पर समिति के उपाध्यक्ष डॉ जयशंकर झा ने जीव के प्रति ममता का हवाला देते हुए मंच से ही बलि प्रदान पर रोक लगाने का अनुरोध किया. हालांकि नवाह के दौरान मंदिर में बलि प्रदान नहीं किया जाता है. ऐसे में बकरी का बच्चा कैसे आया, इसे लेकर भी चर्चा है.

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भक्तों को दूसरे मंदिर में देनी पड़ी बलि

मन्नत पूरी होने पर बुधवार को कुछ भक्त माता को छागर का बलि देने पहुंचे. रसीद काटने से इनकार करते हुए बलि प्रदान से वहां रोक दी गयी. इस पर भक्तों ने खूब हो-हल्ला किया. अंतत: किसी तरह माधवेश्वर परिसर के दक्षिण अवस्थित कामेश्वरी श्यामा मंदिर में श्रद्धालुओं को बलि प्रदान करना पड़ा. यह खबर आग तरह फैल गयी. लोग अपने आक्रोश का इजहार सोशल साइट पर करने लगे.

श्यामा मंदिर न्यास के उपाध्यक्ष ने दिया था रोक का प्रस्ताव

बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के अध्यक्ष अखिलेश कुमार जैन ने इस संबंध में इसी साल 11 अक्तूबर को जिलाधिकारी सह मां श्यामा मंदिर न्यास समिति के सचिव राजीव रौशन को पत्र भेजा था. इसमें श्यामा मंदिर न्यास समिति के उपाध्यक्ष कमलाकांत झा के प्रस्ताव का हवाला देते हुए कहा कि मंदिर में गोधन-गोवंश की बलि नहीं दी जानी है. यह पशु क्रूरता अधिनियम के तहत गलत है. श्यामा मंदिर में शास्त्र व परंपरा के अनुसार छागर की बलि दी जाती है.

एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे उपाध्यक्ष

बलि प्रदान पर रोक के बाद जब श्रद्धालुओं में आक्रोश गहराने लगा, तो मंदिर न्यास समिति के दोनों उपाध्यक्ष एक-दूसरे पर आरोप लगाने लगे हैं. 30 अक्तूबर की तिथि में बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के अध्यक्ष को संबोधित पत्र में उपाध्यक्ष कमलाकांत झा इस तरह के किसी भी प्रस्ताव को देने से इनकार कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि दो उपाध्यक्ष हैं. वरीयता के कारण पहला नाम उनका है. दूसरे उपाध्यक्ष भी हैं. बता दें कि नव गठित कमेटी में दूसरे उपाध्यक्ष डॉ जयशंकर झा हैं. इधर, इस बाबत डॉ झा ने इस संबंध में प्रस्ताव दिये जाने से इनकार करते हुए कहा कि कमलाकांत झा ने ही यह प्रस्ताव दिया था.

अधिकारी का पक्ष

यह बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड का फैसला है. आपको वहां संपर्क करना चाहिए.

– राजीव रौशन, सचिव, मां श्यामा मंदिर समिति सह जिलाधिकारी

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