पटना. राज्य में बालू खनन बुधवार से बंद हो गया है. अब नये जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट (डीएसआर) के आधार पर जिला प्रशासन के माध्यम से सभी 38 जिले के नदी घाटों की फिर से बंदोबस्ती होगी. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है. इससे पहले ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के अनुसार हर साल जुलाई से सितंबर तक नदियों में बालू खनन प्रतिबंधित था. अब नये आदेश के अनुसार बालू खनन करीब चार महीने तक बालू खनन बंद रहने की संभावना है. हालांकि इस समयावधि के लिए खान एवं भूतत्व विभाग ने राज्य में पर्याप्त मात्रा में बालू की उपलब्धता का दावा किया है. हालांकि फिर से बालू खनन शुरू नहीं होने तक राज्य सरकार को राजस्व नहीं मिल सकेगा.
सूत्रों के अनुसार फिलहाल राज्य के 16 जिलों में बालू खनन हो रहा था. वहां के नदी घाटों की बंदोबस्ती की गई थी और खान एवं भूतत्व विभाग ने सभी बंदोबस्तधारियों से 31 मई तक ही राजस्व लिया था. विभाग ने इससे पहले अपने सभी स्टॉकिस्ट सहित निर्माण विभागों को बालू जमा करने का निर्देश दिया था. ऐसे में मानसून की समयावधि को देखते हुये पहले से ही बालू के भंडारण की तैयारी चल रही थी.
सूत्रों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने अपने नवंबर 2021 के आदेश में सभी जिलों को नदी घाटों के लिए जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट (डीएसआर) बनाकर पेश करने के लिए कहा था. सभी 38 जिलों का डीएसआर बन चुका है और इन पर पर्यावरणीय मंजूरी मिल चुकी है. ऐसे में अब नदी घाटों की बंदोबस्ती टेंडर के माध्यम से करवाने की प्रक्रिया जिला प्रशासन के माध्यम से होनी है. बंदोबस्ती की प्रक्रिया पूरी होने और बंदोबस्तधारियों का चयन होने के बाद बालू का खनन शुरू हो सकेगा.
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पिछले आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बिहार में बालू खनन के लिए सभी जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट (डीएसआर) ताजा रूप में तैयार की जाएगी. यह रिपोर्ट एसडीएम, सिंचाई विभाग, प्रदूषण नियंत्रण कमेटी, वन विभाग, भूगर्भ विभाग या माइनिंग अधिकारी की सबडिविजनल कमेटी द्वारा छह हफ्ते में तैयार की जाएगी. इसके बाद जिला मजिस्ट्रेट रिपोर्ट को राज्य विशेषज्ञ संस्तुति कमेटी (एसईएसी) के पास भेजेंगे.
कमेटी उसकी छह हफ्ते में जांच कर राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकार (एसईआईएए) के पास भेजा जाएगा. वहां से रिपोर्ट को छह हफ्ते में मंजूरी देना होगा. इन संस्तुतियों पर राज्य विशेषज्ञ संस्तुति कमेटी और राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकार आवश्यक रूप से जनवरी 2020 की नीतियों के अनुसार खनन को मंजूरी देगा.