पटना. एक जुलाई से पटना जिले में भी 19 तरह के सिंगल यूज वाले प्लास्टिक उत्पादों पर प्रतिबंध लागू हो जायेगा. इसमें प्लास्टिक स्टिक वाले इयरबड, गुब्बारे में लगने वाले प्लास्टिक स्टिक, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम स्टिक, सजावट में काम आने वाले थर्माेकोल, प्लास्टिक कप, प्लेट, गिलास, कांटा, चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ, ट्रे, मिठाई के डिब्बों पर लगायी जाने वाली प्लास्टिक, प्लास्टिक के निमंत्रण पत्र, 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले पीवीसी बैनर आदि पर यह प्रतिबंध लागू होगा. इधर, पटना जिले में प्रतिबंध लगाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से तैयारी की जा रही है.
सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लागू होने के बाद इसका उत्पादन, आयात, भंडारण, बिक्री को अपराध माना जायेगा और ऐसा करने पर जुर्माना और जेल हो सकती है. भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने अगस्त 2021 में ही सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर बैन लगाने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया था. करीब एक वर्ष का समय इस उद्योग से जुड़े लोगों को दिया गया था, ताकि वे अपने स्टॉक खत्म कर लें और इसके विकल्प का इस्तेमाल करने लगे.
पर्यावरण से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि सिंगल यूज प्लास्टिक न तो आसानी से नष्ट होता है, न ही रिसाइकिल होता है. इस प्लास्टिक के नैनो कण घुल कर पानी और भूमि को प्रदूषित करते हैं. इससे भूमि बंजर होती है. यह जलीय जीवों को तो नुकसान पहुंचाते ही हैं, साथ ही नाले के जाम होने का भी कारण हैं. शहरों में जलजमाव का भी एक बड़ा कारण सिंगल यूज प्लास्टिक है.
एसोचैम और इवाय नामक संस्था की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 90 लाख टन प्लास्टिक का उपयोग होता है, जिसे इस्तेमाल के बाद फेंक दिया जाता है. इसमें गुटखे और शैंपू के पाउच, पॉलीथिन, छोटी बोतलें, स्ट्रॉ, गिलास और कटलरी के कई छोटे सामान शामिल हैं. यह ऐसे सिंगल यूज प्लास्टिक है, जिनका दोबारा इस्तेमाल नहीं होता और यही प्लास्टिक प्रदूषण का बड़ा कारण है.
एक जुलाई से प्रतिबंध लगने के बाद सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल करने पर आम लोगों पर 500 से दो हजार और औद्योगिक स्तर पर इसका उत्पादन, आयात, भंडारण और बिक्री करने वालों पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के तहत दंड का प्रावधान होगा. ऐसे लोगों पर 20 हजार रुपये से एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है, या पांच वर्ष तक की जेल या दोनों की सजा दी जा सकती है. उत्पादों को सीज करना, पर्यावरण क्षति को लेकर जुर्माना लगाना, इनके उत्पादन से जुड़े उद्योग को बंद करने जैसी कार्रवाई शामिल है.
केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने लोगों से प्लास्टिक के बजाय इको-फ्रेंडली विकल्प चुनने का अनुरोध किया है. उदाहरण के लिए, प्लास्टिक की थैलियों के बजाय कॉटन की थैलियों का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया है. इसको लेकर जारी सर्कुलर में कहा गया है, “प्लास्टिक की थैलियों की जगह कपड़ों के बने थैलों का इस्तेमाल किया जा सकता है.
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