पटना. बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी और बोधगया के तत्कालीन अंचलाधिकारी अनिल कुमार को डीएम के आदेश का उल्लंघन करना भारी पर गया. उन्हें निंदन और संचयनात्मक प्रभाव से दो वेतन वृद्धि रोक की सजा मिली है. उन्हें यह सजा जिलाधिकारी द्वारा फर्जी विदेशी कंपनियों की जमाबंदी रद्द करने के आदेश को नहीं मानने की वजह से मिली है.
सात फर्जी विदेशी संस्थाओं की जमीन के जमाबंदी का है मामला
दरअसल, गया के तत्कालीन जिलाधिकारी ने जिले की सात फर्जी विदेशी संस्थानों के जमीन का निबंधन और उनका दाखिल-खारिज पर रोक लगाते हुए सृजित जमाबंदी को रद्द करने का आदेश दिया था. उसके बाद अनुमंडलाधिकारी और अंचलाधिकारी ने उक्त संस्थानों का जमाबंदी रद्द कर दिया गया था, लेकिन तत्कालीन अंचलाधिकारी अनिल कुमार ने जिलाधिकारी के आदेश को नजर अंदाज करते हुए कर्मचारी को जमाबंदी कायम करने का आदेश दे दिया था.
अनुशासनात्मक प्राधिकार की जांच में लगे आरोप पाए गए सत्य
अंचलाधिकारी अनिल कुमार द्वारा दिए गए आदेश का पालन करते हुए कर्मचारी ने इन सात फर्जी विदेशी संस्थानों की जमाबंदी फिर से कायम कर दी थी, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए आयुक्त ने जांच का आदेश दिया था. उसके बाद अनुशासनात्मक प्राधिकार की जांच में अनिल कुमार के विरुद्ध लगे आरोप को सत्य पाया गया. इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग को उन पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया.
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अनिल कुमार को मिली दो वेतन वृद्धि रोक की सजा
अंचलाधिकारी अनिल कुमार के ऊपर लगे आरोप को सत्य पाने के बाद विभाग ने बिहार लोक सेवा आयोग से सहमति ली और फिर अनिल कुमार के विरुद्ध निंदन और संचयनात्मक प्रभाव से दो वेतन वृद्धि रोक की उन्हें सजा दी है.