बिहार के छोटे उद्यमियों और किसानों को लोन देने से बैंक करता है परहेज, कृषि मंत्री ने बैंकों के नकारात्मक सोच को बताया विकास में बाधक

एनपीए की समस्या किसानों से नहीं, बल्कि बड़े उद्यमियों से बढ़ी है. श्री सिंह ने कहा कि विभाजन के बाद सूबे में कृषि क्षेत्र में संभावनाएं ही बची हैं. मंझौले उद्योग और वन संपदा झारखंड में चले गये हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | January 16, 2021 10:47 AM

पटना. बैंकों का नकारात्मक सोच बिहार के विकास में बाधक है. बैंकर्स और बैंक अधिकारियों की भूमिका सकारात्मक नहीं है. वे आत्म निरीक्षण करें और अपने अंदर झांक कर देखें.

सूबे के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने शुक्रवार को स्थानीय होटल में नाबार्ड द्वारा आयोजित राज्य क्रेडिट सेमिनार को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं.

उन्होंने कहा कि नाबार्ड बल देने के लिए है, लेकिन वास्तविक काम बैंकों से होना है. इस राज्य में बैंकर्स और अधिकारी काम नहीं करेंगे, तो बिहार आगे नहीं बढ़ सकता है.

उन्होंने कहा कि बैंक छोटे उद्यमियों और किसानों को लोन देने से परहेज करता है, जबकि बड़े उद्यमियों को बिना सोचे लोन देता है.

एनपीए की समस्या किसानों से नहीं, बल्कि बड़े उद्यमियों से बढ़ी है. श्री सिंह ने कहा कि विभाजन के बाद सूबे में कृषि क्षेत्र में संभावनाएं ही बची हैं. मंझौले उद्योग और वन संपदा झारखंड में चले गये हैं.

बिहार देश के सबसे तेजी से विकास करने वाले राज्यों में से एक है. हालांकि, राज्य में कृषि क्षेत्र के सम्यक विकास के नाबार्ड द्वारा राज्य फोकस पेपर में सुझाये गये पहलुओं पर ध्यान देने और इस क्षेत्र में अधिकाधिक ऋण प्रवाह करने की आवश्यकता है.

कृषि मंत्री ने कहा कि एसएलबीसी के नेतृत्व में बैंकों को अपने प्रदर्शन को और बेहतर बनाने के लिए अधिक प्रयास करना होगा.

सूबे में उपलब्ध पूर्ण ऋण क्षमता का दोहन करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहना होगा. उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक की ओर से सुझायी गयी गाइडलाइन को गंभीरता से लेंगे, तो बिहार विकास में तेजी आयेगी.

सेमिनार उद्घाटन के बाद कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने नाबार्ड द्वारा तैयार राज्य के फोकस पेपर 2021-22 का विमोचन किया.

Posted by Ashish Jha

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