Bank News: रिजर्व बैंक ने 2000 के गुलाबी नोट (2 Thousand Note) जब जारी किए तो ये काफी सुर्खियों में रहा. इसे लेकर कई विवाद भी छिड़े. इस बीच आज की एक हकीकत यह भी है कि अचानक बाजार से दो हजार के नोट लगभग गायब ही हो गए हैं. उपलब्ध भी हैं तो इसकी संख्या बहुत कम रही है. इसके पीछे की वजह क्या है. ये सवाल सबके मन-मस्तिष्क में उठता है. वहीं कई बार बैंक आपसे सिक्का लेने से इंकार कर देते हैं. उस वक्त आपके पास क्या अधिकार हैं. आइये जानते हैं इन तमाम मुद्दों पर क्या कहते हैं आरबीआइ के क्षेत्रीय निदेशक (आरडी) संजीव दयाल….
आरबीआइ के क्षेत्रीय निदेशक (आरडी) संजीव दयाल ने कहा कि रिजर्व बैंक द्वारा जारी किये गये सिक्के लेने से बैंक और उनकी शाखाएं इन्कार नहीं कर सकती हैं. अगर किसी ब्रांच में सिक्के लेने से मना करें, तो इसकी शिकायत रिजर्व बैंक और बैंक के उच्चाधिकारी से कर सकते हैं. वहीं, आम लोगों को भी बैंकों द्वारा सिक्का देने पर स्वीकार करना चाहिए. वे मंगलवार को रिजर्व बैंक के पटना कार्यालय में वित्तीय साक्षरता सप्ताह के अवसर पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे.
बाजार से दो हजार के नोट क्यों गायब हैं. आखिर केवल 10,20,50,100,500 तक के छोटे नोट ही अधिक क्यों दिखते हैं. इसपर संजीव दयाल ने कहा कि बैंकों के डिजिटल माध्यम यूपीआइ आदि के कारण नोट व करेंसी कम दिख रहे हैं. क्षेत्रीय निदेशक ने कहा कि सरकार और केंद्रीय बैंक द्वारा करेंसी नोट की तुलना में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा दिया जा रहा है. बायोमेट्रिक यानी आधार आधारित पेमेंट सिस्टम की पहुंच अब हर लोगों तक हो गयी है.
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बिहार में बैंक की शाखाएं खोलने के सवाल पर क्षेत्रीय निदेशक ने कहा कि अभी पांच हजार की जनसंख्या वाले गांव बैकिंग की जद में है. उन्होंने कहा कि अगर किसी बैंक का एटीएम महीने में दस घंटे से अधिक कैश लेस रहता है तो रिजर्व बैंक ऐसे बैंकों पर पैनाल्टी लगायेगा.