दवा उपलब्ध, झाड़-फूंक से जा रही जान
अंधविश्वास. सांप-बिच्छू का कहर जारी, डॉक्टर छोड़ ओझा की शरण में जा रहे लोग आज भी अंधविश्वास के दायरे से लोग िनकल नहीं पाये हैं. आलम यह है िक सांप दंश पर अस्पताल जाने के बजाय लोग अोझा के पास पहुंच रहे हैं. कटोरिया : कटोरिया में विषैले सर्प व बिच्छू कहर बरपा रहे हैं. […]
अंधविश्वास. सांप-बिच्छू का कहर जारी, डॉक्टर छोड़ ओझा की शरण में जा रहे लोग
आज भी अंधविश्वास के दायरे से लोग िनकल नहीं पाये हैं. आलम यह है िक सांप दंश पर अस्पताल जाने के बजाय लोग अोझा के पास पहुंच रहे हैं.
कटोरिया : कटोरिया में विषैले सर्प व बिच्छू कहर बरपा रहे हैं. इस हादसे में जो मौत हो रही है, उसकी वजह अस्पतालों में दवा का अभाव नहीं, बल्कि लोगों में ज्ञान का अभाव है. दरअसल आज भी लोग सर्पदंश की स्थिति में अस्पताल की बजाय झाड़-फूंक के लिए ओझा के पास जाना पसंद करते हैं. सर्पदंश व बिच्छू की डंक से मौत का सबसे प्रमुख कारण समय पर पीड़ित को इलाज उपलब्ध कराना नहीं माना जाता है. खासकर सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में सर्पदंश से शिकार रोगी का इलाज स्थानीय तौर पर झाड़-फूंक अथवा घरेलू नुस्खों से किया जाता है. रोगी को अस्पताल लाने में देर हो जाती है और यही मौत का कारण बनता है.
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क्या हैं लक्षण
नींद आना, मिचली, किसी वस्तु का एक स्थान पर दो दिखलायी देना, चेतनहीनता, मांसपेशियों में ऐंठन ये सब सर्पदंश के लक्षण हैं. दरअसल सर्पदंश से सबसे अधिक प्रभावित तंत्रिका तंत्र व श्वास केंद्र होता है. इससे श्वसन क्रिया रुक जाती है और व्यक्ति की मौत हो जाती है. सर्पदंश का प्राथमिक उपचार शीघ्रता से करना चाहिए. सर्पदंश के स्थान पर हल्के तौर पर बांध देना चाहिए. हालांकि इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि बंधन इतना कसा हुआ नहीं हो कि रक्त प्रवाह ही बंद हो जाये. इसके अलावा काटे हुए स्थान पर हल्का चीरा भी लगाया जा सकता है. तत्काल दंश स्थल पर साबुन अथवा नमक के पानी से धो देना चाहिए. इसके बाद एंटीवेनम की सूई के लिए तत्काल अस्पताल लेना जाना चाहिए. दंश स्थल को कभी भी गर्म पानी से नहीं सेंकना चाहिए.