सिर्फ धार्मिक पुस्तकों से सजे हैं स्कूलों के पुस्तकालय
किसी भी विद्यालय में पुस्तकालय का लाभ नहीं उठा पा रहे छात्र-छात्राएं बांका : सरकारी विद्यालय में पुस्तकालय की व्यवस्था लागू कर गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा नीति लागू की गयी थी. लेकिन, सरकार की सारी बातें पुस्ताकलय के दर्शन मात्र से बेमानी साबित होती है. सरकारी विद्यालय में मौजूद पुस्ताकलय विभिन्न बुनियादी समस्याओं से घिरी हुई […]
किसी भी विद्यालय में पुस्तकालय का लाभ नहीं उठा पा रहे छात्र-छात्राएं
बांका : सरकारी विद्यालय में पुस्तकालय की व्यवस्था लागू कर गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा नीति लागू की गयी थी. लेकिन, सरकार की सारी बातें पुस्ताकलय के दर्शन मात्र से बेमानी साबित होती है. सरकारी विद्यालय में मौजूद पुस्ताकलय विभिन्न बुनियादी समस्याओं से घिरी हुई है. पुस्ताकलय में न तो पाठ्यक्रम के मुताबिक पुस्तक की उपलब्ता है और न ही इसके संचालन के लिए अपेक्षित पुस्तकालय अध्यक्ष हैं. नतीजतन, किसी भी प्रकार से पुस्ताकलय का लाभ बच्चे नहीं उठा पा रहे हैं.
पुस्तक के अभाव में कई छात्र-छात्राएं गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा से वंचित हैं. पुस्ताकलय के जीर्णोद्धार के लिए शासन तंत्र के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधि भी चुप्पी साधे हुए हैं. सूत्र की मानें तो मौजूदा समय में एक भी पुस्तक पाठ्यक्रम के लायक नहीं है. पुस्तक के नाम पर पुस्तकालय में थोक मात्रा में धार्मिक पुस्तकें मौजूद हैं. वह भी उदासीनता की धूल फांक कर खुद को कोसती नजर आ रही है. धार्मिक ग्रंथ का अध्ययन न तो छात्र-छात्राएं और न ही शिक्षक वर्ग कर रहे हैं. अलबत्ता, उच्चतर माध्यमिक से लेकर प्राइमरी स्कूल के पुस्तकालय में समस्या रुपी अंधेरा छाया हुआ है. पूर्व में देखा जाता था की स्थानीय जनप्रतिनिधि अपने कोष से पुस्तक का आवंटन कराते थे. परंतु अब माननीय भी इस दिशा में आंख मुंदे हुए हैं. ज्ञात हो कि बांका जिला से एक सांसद, पांच विधायक व दो-दो एमएलसी हैं.
पांच वर्ष के दरम्यान एक भी पुस्तक की नहीं हुई खरीदारी . पुस्ताकलय की दयनीय स्थिति शहर से लेकर गांव में स्थापित सरकारी विद्यालय में एक जैसा है. जानकारी के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2011-12 में 846 मध्य विद्यालय व 1222 प्राइमरी विद्यालय के लिए पुस्तक की खरीदारी हुई थी. तत्कालीन सांसद पुतुल कुमारी ने इस मद में सांसद कोष से राशि आवंटित की थी. परंतु पांच वर्ष की लंबी अवधी में अबतक किसी भी मद से एक भी पुस्तक नहीं खरीदी गयी है. वहीं दूसरी ओर +2विद्यालय के पुस्तकालय का हाल भी बेहाल है. यहां भी पुस्तक का आवंटन मांग के अनुरुप नहीं हो सका. सूत्र की मानें तो जो भी पुस्तक पुस्ताकलय में हैं वह बिल्कुल उपयोगी नहीं है. कई पुस्तक बेकाम का अंग्रेजी भाषा में है. इसके अलावा कई पब्लिकेशन के पुस्तक पड़े हैं जो पाठ्यक्रम के अनुरूप फिट नहीं बैठ रहा है.
पुस्तकालय भवन निर्माण भी ठंडे बस्ते में
पुस्तक की कमी के अलावा पुस्ताकलय भवन भी ज्यादातर विद्यालय में नहीं है. लिहाजा, पुस्तकालय रख-रखाव दुरुस्त व्यवस्था नहीं है. पुस्ताकलय कक्ष निर्माण की बात ठंड पड़ गयी है. यही नहीं पुस्तकालय के साथ ही पुस्ताकलय अध्यक्ष की भी घोर कमी है.
पुस्कालय में पुस्तक की कमी है. इसकी रिपोर्ट मंगाई जायेगी उसके बाद विभाग को जानकारी दी जायेगी. छात्र-छात्राओं को किसी प्रकार की शिक्षा संबंधित परेशानी न हो इसके लिए विभाग कटिबद्ध है.
अनिल कुमार शर्मा, डीइओ, बांका