बांका में पहली बार शुरू हुई खरीफ प्याज की खेती
बांका : जिले में पहली बार खरीफ मौसम में प्याज की खेती पर जोर दिया गया है. इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र ने एक बड़ी पहल की है. केवीके ने अपने परिसर में स्वयं इसकी खेती आरंभ कर दी है. साथ ही जिले के कई प्रगतिशील किसानों को खरीफ प्याज की खेती के लिए प्रेरित […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
September 3, 2017 5:29 AM
बांका : जिले में पहली बार खरीफ मौसम में प्याज की खेती पर जोर दिया गया है. इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र ने एक बड़ी पहल की है. केवीके ने अपने परिसर में स्वयं इसकी खेती आरंभ कर दी है. साथ ही जिले के कई प्रगतिशील किसानों को खरीफ प्याज की खेती के लिए प्रेरित भी किया है. केवीके की पहल पर सदर प्रखंड क्षेत्र के करजना गांव में किसान अशोक यादव सहित कई किसानों ने खरीफ प्याज को इस बार लगाया है, इसका उत्पादन अक्तूबर- नवंबर माह तक हो जाने की संभावना है.
इस संबंध में केवीके के वैज्ञानिक डाॅ संजय कुमार मंडल ने बताया कि संकल्प से सिद्धि के तहत 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य से इस तरह की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके लिए किसानों को आधुनिक खेती से जोड़ने, कम लागत में अच्छी आमदनी देने वाली फसल लगाने आदि के लिए प्रेरित किया जा रहा है. प्याज की खेती कर किसान अपनी आमदनी दोगुनी कर सकते हैं.
खरीफ प्याज की खेती का समय
खरीफ प्याज की खेती के लिए मई- जून में नर्सरी तैयार कर बीज बोआई की जाती है. जुलाई- अगस्त में इसकी रोपाई की जाती है और कम खर्च में प्याज अक्तूबर- नवंबर माह तक तैयार हो जाता है. डॉ मंडल ने बताया कि जिले में खरीफ प्याज की खेती की अपार संभावना है. चूंकि बांका की जमीन पठारी किस्म की है. इसको देखते हुए केवीके ने यह कदम उठाया है.
पहले करा लें मिट्टी की जांच, फिर ऐसे करें खाद एवं उर्वरक का प्रयोग
प्याज की फसल को अधिक मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है. इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि किसान पहले मिट्टी की जांच करा लें, उसके बाद 20 से 25 टन प्रति हेक्टेयर गोबर का कंपोस्ट रोपाई से एक दो माह पहले खेत में डालें. इसके अलावा रोपाई के समय में नत्रजन सौ किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर, स्फूर 50 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर तथा 50 किलो ग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर दें. पौधा तैयार होने के बाद फसल में 25 किलो ग्राम सल्फर, पांच किलो ग्राम जिंक प्याज की गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रति हेक्टेयर देना आवश्यक है. वैज्ञानिकों ने किसानों को बीज की मात्रा, खरपतवार नियंत्रण, सिंचाई एवं जल निकास आदि पर विशेष ध्यान देने की बात कही है.
उम्मीद है बेहतर रिजल्ट मिलेगा
प्रायोगिक तौर पर केवीके में पहली बार खरीफ प्याज की खेती की शुरुआत की गयी है. बेहतर रिजल्ट आने पर व्यापक पैमाने पर इसकी खेती की जायेगी. जिले में इस मौसम में प्याज की खेती के लिए मिट्टी अनुकूल है. उम्मीद है कि खरीफ मौसम की प्याज इस मिट्टी में बेहतर रिजल्ट देगी.
डॉ कुमारी शारदा, समन्वयक, केवीके