वैशाख में ही जेठ का हुआ एहसास

बांकाः सूर्योदय होते ही सूरज आग उगलना आरंभ कर देता है. प्रचंड गरमी से जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. गरमी व पछिया हवा से जहां स्कूल व कॉलेज जानेवाले छात्रों को काफी परेशानी हो रही है वहीं किसानों की भी स्थिति दयनीय हो गयी है. ग्रामीण क्षेत्रों में रोज गिरते जल स्तर से चापाकल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 30, 2014 5:06 AM

बांकाः सूर्योदय होते ही सूरज आग उगलना आरंभ कर देता है. प्रचंड गरमी से जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. गरमी व पछिया हवा से जहां स्कूल व कॉलेज जानेवाले छात्रों को काफी परेशानी हो रही है वहीं किसानों की भी स्थिति दयनीय हो गयी है. ग्रामीण क्षेत्रों में रोज गिरते जल स्तर से चापाकल व बोरिंग दम तोड़ रहे हैं. बिहार कृषि विश्वविद्यालय के मौसम विभाग के अनुसार मंगलवार को अधिकतम तापमान 42.22 व न्यूनतम 36.50 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया. फिलहाल मौसम ऐसा ही बना रहेगा.

हो सकती है हल्की बारिश

मौसम वैज्ञानिक सुनील कुमार कहते हैं कि तापमान में प्रतिदिन कुछ न कुछ इजाफा अभी होगा. पारा अभी और बढ़ेगा. आने वाले दो चार दिन मौसम ऐसा ही बना रहेगा. तीखी धूप निकलेगी. पछुआ हवा चलेगी व आसमान साफ रहेगा. अभी बारिश की संभावना नहीं हैं. उन्होंने बताया कि तापमान का बढ़ना इस समय की सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन विगत वर्षो की तुलना में ऐसा मौसम एक पखवारा पहले चल रहा है जो मौसम 15 दिन बाद आना चाहिए. जिससे आम जनजीवन, फसल और जानवर तक में बेचैनी छायी हुई है. वैज्ञानिक के अनुसार दो से तीन मई तक धूल भरी आंधी और हल्की बारिश की संभावना बन रही है.

किसान भाई डालें इधर एक नजर

प्रचंड गरमी में किसानों की फसल सूखने लगी है. किसान अपने खेतों में लगे फसल को देख हताश व निराश हो रहे हैं. कृषि विज्ञान केंद्र बांका की समन्वयक डॉ सुनीता कुशवाहा ने बताया कि मौसम की बेरुखी से बचने के लिए किसानों को कुछ आवश्यक तथ्यों पर ध्यान देना चाहिए. जैसे आम सहित अन्य फलदार वृक्षों की सिंचाई करें. साग-सब्जी की फसल में हल्की सिंचाई करें. धूप से बचाव के लिए सब्जी के पौधों के ऊपर छावनी करें. शाम की सिंचाई अपेक्षाकृत उपयुक्त है. फलों में कीट का प्रकोप हो तो कीटनाशक का छिड़काव करें.

टूटा पिछले वर्षो का रिकॉर्ड

अप्रैल के महीने में जिस तरह से तापमान बढ़ा है. इससे यह एहसास होने लगा है कि आनेवाले महीनों में गरमी और बढ़ेगी. पिछले दो वर्षो में मौसम की गरमी इतनी नहीं थी जितनी अभी अप्रैल में ही लोगों को एहसास होने लगी है.

Next Article

Exit mobile version