घाट पर ही शुरू हो जाती है उगाही

सरकारी दर पर नहीं दिया जाता है बालू.एक सीएफटी पर 2000 रुपये अतिरिक्त वसूली के बाद मार्केट में बालू की कीमत हो जाती है पांच हजार के आसपास. बांका : सूबे की सरकार ने बालू को सुलभ व सस्ते दर पर उपलब्ध कराने के लिए नयी नीति लागू की है. इसके तहत उपभोक्ताओं को ऑनलाइन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 6, 2018 5:43 AM

सरकारी दर पर नहीं दिया जाता है बालू.एक सीएफटी पर 2000 रुपये अतिरिक्त वसूली के बाद मार्केट में बालू की कीमत हो जाती है पांच हजार के आसपास.

बांका : सूबे की सरकार ने बालू को सुलभ व सस्ते दर पर उपलब्ध कराने के लिए नयी नीति लागू की है. इसके तहत उपभोक्ताओं को ऑनलाइन डिमांड की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है. इसके बावजूद नयी नीति पुरानी नीति से ज्यादा कठोर साबित हो रही है. मौजूदा समय में सौ सीएफटी बालू घाट से निकाल कर बाजार में चार से पांच हजार में बिक रहा है. इसका कारण यह है कि घाट पर संबंधित संवेदक सरकारी दर से इतर अवैध रूप से दोगुनी रकम वसूल रहे हैं.
लिहाजा, वाहन मालिक को बढ़ी दर पर बालू अवैध रूप से बेचना पड़ रहा है. बालू घाट पर हो रही मनमानी की जानकारी संबंधित विभाग के साथ पुलिस पदाधिकारी को भी है, पर सब चुप हैं. गुरुवार को डूबोनी घाट पर अमरपुर का ट्रैक्टर चालक सुनील यादव जब बालू लेने गये तो सरकारी रेट से अधिक (अतिरिक्त आठ से नौ सौ रुपये) डिमांड किया गया.
इस बाबत उन्होंने विरोध किया. जब विभाग को शिकायत करने की बात कही, तो जवाब था, विभाग सब जानता है. अन्य चालकों ने भी घाट पर हो रहे अवैध वसूली पर चिंता जतायी है. दरअसल, एक सौ सीएफटी बालू की सरकारी दर 1025 रुपये निर्धारित है. पर बालू घाट पर सौ सीएफट बालू की कीमत 1900, दो सौ रुपया लोडिंग व सौ से दो सौ रुपया अवैध रूप से लिया जाता है. जब ट्रैक्टर बालू घाट से निकलता है तो रास्ते में भी स्थानीय दबंगों की जेब गर्म करनी पड़ती है. विभागीय अधिकारी के मुताबिक जिले में बालू की दरों में काफी असमानता है. बफर स्टॉक से बालू प्रति सौ सीएफटी 2646 रुपया है. इनवॉइस कटा कर रिटेलर के माध्यम से बालू लेने पर 1176 रुपया चुकाना पड़ता है, जबकि महादेव इंक्लेव के लिए कोई दर निर्धारित नहीं है. अलबत्ता, विभाग का इशारा महादेव इंक्लेव पर ही अवैध व्यापार को लेकर है.
नदी में बनायी जा रहीं अवैध रूप से सड़कें
संवेदक व बालू माफिया इन दिनों नदी को बेचने की होड़ में हैं. हैरान करने वाली बात यह है कि अंधाधुंध बालू उठाव के लिए नदी के बीचो-बीच अवैध रूप से सड़क व अस्थाई पुल का भी निर्माण किया जा रहा है, पर विभाग की इस पर नजर नहीं जा रही है. समुखिया-बांका मुख्यमार्ग के ओढ़नी नदी में ऐसी सड़कें देखी जा सकती है. यही नहीं कई घाटों पर 24 घंटे जेसीबी के साथ पोकलेन चल रहा है.

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