बांका : बिहार में बांका के कटोरिया थाना क्षेत्र के मनिया पंचायत अंतर्गत रिखियाराजदह गांव के बगल स्थित कुहका जोर में एक कठोर दिल मां ने डेढ़ माह की नेत्रहीन पुत्री को जिंदा दफना दिया. इतना ही नहीं, पत्थर दिल मां ने बालू के उपर से पत्थर भी रख दिया. लेकिन, बच्ची की चीख नरम दिल ग्रामीणों तक पहुंची. ग्रामीणों ने उस बच्ची को बचा कर ‘जाको राखे साईयां मार सके ना कोय’ वाली कहावत को चरितार्थ कर दिया.
उक्त बच्ची को पंचायत समिति सदस्य मनीष कुमार सुमन की पहल पर युवक रामकिशोर यादव ग्राम बेलौनी, रिखियाराजदह के रामेश्वर यादव, चरण यादव, अमरजीत कुमार व बड़वासिनी गांव के महेश यादव आदि के सहयोग से देर शाम रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां चिकित्सक डाॅ. दीपक भगत ने जांच के बाद कहा कि बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है. जांच के बाद बच्ची को एनबीसीसी में रखा गया. प्राथमिक उपचार के बाद ही बच्ची भूख से बिलखने लगी. फिर चिकित्सक ने उसे ड्रॉपर से दूध भी पिलाया.
प्रभात-खबर की सूचना के बाद डायरेक्टर चिरंजीव सिंह के नेतृत्व में चाइल्ड-लाइन की टीम भी रेफरल अस्पताल पहुंची. उन्होंने बच्ची से मिलने के बाद सीडब्ल्यूसी बांका को भी इस मामले की सूचना दी. प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त दिव्यांग बच्ची का मामा घर रिखियाराजदह गांव में ही है. चर्चा है कि करमा त्योहार से एक दिन पहले उसका जन्म मामा घर में ही हुआ है. बच्ची के नेत्रहीन रहने के कारण उसके माता-पिता ने उससे छुटकारा पाने की नियत से ही बगल के कुहका जोर में रविवार की सुबह ही दफना दिया. बच्ची के रोने की आवाज सुन कर जुटे युवकों ने उसे बालू से बाहर निकाला. दोपहर में बहियार में घास काटने वाली एक दयालु महिला ने उसे अपना दूध भी पिलाया.
गांव के ही एक युवक अमरजीत कुमार ने पंचायत समिति सदस्य को वीडियो कॉलिंग कर बिलख रही बच्ची को दिखाते हुए सूचना दी. फिर एंबुलैंस द्वारा उसे रेफरल अस्पताल में भर्ती किया गया. चाइल्ड लाइन के डायरेक्टर चिरंजीव सिंह ने कहा कि इस बच्ची का समुचित देखरेख की व्यवस्था सुदृढ़ करायी जायेगी.