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नयी तकनीक से छात्रों में बढ़ी पढ़ने की रुचि : पप्पू

बांका : बिहार के एक मात्र शिक्षक बांका जिले के अमरपुर के प्रोन्नत मध्य विद्यालय, कुल्हरिया के प्रधानाध्यापक पप्पू हरिजन को शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर योगदान के लिए गुरुवार को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. पुरस्कार पाने से गद्गद् पप्पू हरिजन ने कहा कि इससे और बेहतर करने की प्रेरणा मिलेगी. परंपरागत तरीके […]

बांका : बिहार के एक मात्र शिक्षक बांका जिले के अमरपुर के प्रोन्नत मध्य विद्यालय, कुल्हरिया के प्रधानाध्यापक पप्पू हरिजन को शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर योगदान के लिए गुरुवार को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

पुरस्कार पाने से गद्गद् पप्पू हरिजन ने कहा कि इससे और बेहतर करने की प्रेरणा मिलेगी. परंपरागत तरीके से चल रही पढ़ाई से इतर पप्पू हरिजन ने नयी तकनीक से छात्रों को पढ़ाने का काम शुरू किया. स्कूल के पूर्व छात्रों के सहयोग से टेलीविजन, इनवर्टर खरीदा. फिर विषयों को लेकर टीवी पर चित्रण के जरिये पढ़ाने का काम शुरू किया.
इससे बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि बढ़ने लगी और स्कूल आने वाले छात्रों की संख्या बढ़ गयी. उनके मुताबिक स्मार्ट क्लास में पढ़ रहे बच्चे विषय वस्तु को आसानी से समझ जाते हैं तथा यह काफी दिनों तक मानस पटल पर रहता है. इसके कारण स्कूली छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं और छात्रवृत्ति हासिल करने लगे.
उन्होंने कहा कि जब सितंबर 2012 में वे इस स्कूल में आये तो विद्यालय की स्थिति जर्जर थी. स्कूल की जमीन पर ग्रामीणों का कब्जा था. लेकिन गांव वालों की मदद से स्कूल की जमीन को कब्जे से मुक्त करवाया. राष्ट्रपति से पुरस्कार मिलने पर बांका के डीएम व एसपी ने पप्पू हरिजन को बधाई दी है. दोनों ने कहा कि पप्पू अन्य शिक्षकों के लिए प्रेरणास्रोत हैं.
सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होने की धारणा बदली
उन्होंने बताया कि लोगों में ऐसी धारणा बन गयी थी कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती है. गांव के लोगों से मिलकर उनके बच्चों को स्कूल भेजने के लिए राजी किया.
सबसे पहले मध्याह्न भोजन योजना के तहत मिलने वाले खाने की गुणवत्ता को बेहतर किया और इससे बच्चों की स्कूल आने के प्रति रुचि बढ़ी. अधिकारियों से मिलकर स्कूल के भवन का निर्माण कराया. आज स्कूल में 10 कमरे हैं. साथ ही पानी और शौचालय की सुविधा भी है.
हरिजन ने कहा कि गांव के अनुसूचित जाति की लड़कियां स्कूल नहीं आना चाहती थी, उन्हें समझाकर कस्तूरबा स्कूलों में दाखिला कराया. स्वच्छता को लेकर बाल संसद का आयोजन किया. बच्चों, रसोइया और शिक्षकों के साथ मिलकर स्वच्छता अभियान चलाया, पेड़ पौधे लगाये.

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