बौंसी: बांक ललमटिया गांव के संजय हांसदा व उसकी पत्नी संझली मरांडी पिछले दो दिनों से डायरिया रोग से पीड़ित हैं. रेफरल अस्पताल में दोनों का इलाज चल रहा है. अस्पताल में सरकारी स्तर से दी जाने वाली दवा की कमी रहने के कारण बाजार से दवा खरीद कर लानी पड़ रही है.
काफी हो-हल्ला करने पर गुरुवार को पीड़ितों को अस्पताल से कुछ दवाइयां दी गयीं. इस गांव में कुछ और लोग भी डायरिया से पीड़ित हैं. गांव के लोग कुएं के पानी का प्रयोग करते हैं. स्वास्थ्य विभाग द्वारा ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव नहीं किये जाने से डायरिया जैसी खतरनाक बीमारी ने इस गांव में पांव पसार लिया.
रेफरल प्रभारी डॉ जितेंद्र नाथ ने कहा कि अभी डायरिया का मौसम नहीं है, फिर भी गांव में स्वास्थ्य टीम भेजी जायेगी. वहीं प्रखंड के आदिवासी बाहुल्य गांवों में ब्लीचिंग पाउडर आदि का छिड़काव कराने की मांग जिला मांझी परगना के सदस्य बाबूराम बास्के ने की है. बभनगामा पंचायत के मुखिया अश्विनी कुमार पांडेय ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग का ध्यान आदिवासी जनजाति परिवारों के प्रति नहीं रहने से संक्रमण का खतरा बना हुआ है.