कहीं धान की बाली निकलने का इंतजार,तो कहीं धान काटने की तैयारी में जुटे किसान
कहीं धान की बाली निकलने का इंतजार,तो कहीं धान काटने की तैयारी में जुटे किसान फोटो 7 बांका 1 लहलहाते धान के फसल बीच खड़ा किसान – धान की फसल काट कर पहले करेंगे रबी फसल की बुआई – पिछले साल गरमी के मौसम में उपजाया था गरमा धान खेत ऊंचे स्थान पर रहने के […]
कहीं धान की बाली निकलने का इंतजार,तो कहीं धान काटने की तैयारी में जुटे किसान फोटो 7 बांका 1 लहलहाते धान के फसल बीच खड़ा किसान – धान की फसल काट कर पहले करेंगे रबी फसल की बुआई – पिछले साल गरमी के मौसम में उपजाया था गरमा धान खेत ऊंचे स्थान पर रहने के कारण हेंडपंप के सहारे करते हैं खेती प्रतिनिधि, बांका मौसम की बेरुखी के कारण किसान जहां तरह-तरह की परेशानी को झेल कर अपने धान की फसल में बाली आने का इंतजार कर रहे हैं तो दूसरी ओर क्षेत्र के कई किसान अपने धान की फसल को काटने की तैयारी में जुटे हुए हैं. मालूम हो कि प्रखंड क्षेत्र के रैनिया जोगडीहा पंचायत अंतर्गत वरणटोला विशनपुर गांव के एक किसान मिथलेश सिंह ने खरीफ फसल में धान की खेती करते हुए कम समय में सफल की उपज की है. उन्होंने श्रावण माह के अंतिम समय में अपने खेत में धान को लगाया था. इसके बाद आज वो धान को काटने की तैयारी में जुट गये है. कहते हैं किसान किसान मिथलेश सिंह ने बताया कि उनके पास करीब तीन बीघा जमीन है. वह जमीन भी वैसे जगह पर है जहां पानी का कोई समुचित साधन नहीं है. उनका कहना है कि वो दिन भर अपने खेत पर ही कड़ी मेहनत कर फसल लगाते हैं. खेत अधिक ऊंचे स्थान पर रहने के कारण बारिश नहीं होने से हेंडपंप के सहारे खेत में लगी फसल की सिंचाई करते हैं. इस कड़ी मेहनत से ही अच्छी पैदावार कर साल भर वो अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. सरकार की ओर किसानों के लिए चलाई जा विभिन्न तरह की योजनाओं का लाभ आज तक नहीं मिला है. श्री सिंह ने कहा कि दुर्गा पूजा आरंभ होने से पहले ही धान की फसल को काट लेंगे और पूजा समाप्त होते ही खेत में रवि फसल लगाने का कार्य आरंभ कर देंगे. वहीं पिछले साल इन्होंने गरमी के मौसम जिस वक्त लोगों को घर से निकलना मुश्किल होता है उस वक्त उनकी कड़ी मेहनत का रंग देखने के लिए आप-पास के किसान खेत पर पहुंच रहे थे. मालूम हो कि क्षेत्र में एक मात्र ऐसा किसान है जिन्होंने कड़ाके की धूप में भी अपने तीनों बीघा खेत में गरमा धान को लगा कर अच्छी उपज की थी. इस बार भी उन्होंने गरमा धान लगाने की बात सोची है.