पटवन के अभाव में मर रही धान की फसल

पटवन के अभाव में मर रही धान की फसल फोटो 17 बांका 1 : पानी के अभाव में सूखे पड़े डांड़. प्रतिनिधि, शंभुगंज सरकार द्वारा कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों की सुविधा हेतु कई तरह की सरकारी योजनाएं चलायी जा रही है. जिसमें करोड़ों रुपया खर्च किया जा रहा है, बावजूद इसके किसानों के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 17, 2015 9:48 PM

पटवन के अभाव में मर रही धान की फसल फोटो 17 बांका 1 : पानी के अभाव में सूखे पड़े डांड़. प्रतिनिधि, शंभुगंज सरकार द्वारा कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों की सुविधा हेतु कई तरह की सरकारी योजनाएं चलायी जा रही है. जिसमें करोड़ों रुपया खर्च किया जा रहा है, बावजूद इसके किसानों के हालात दिन प्रतिदिन बद से बदतर होते जा रहे हैं. प्रखंड क्षेत्र के किसानों द्वारा जी तोड़ मेहनत करके घर के सारी पूंजी लगा कर, बैंक से कर्ज, सूद पर पैसा लेकर अपने धान की रोपनी की, लेकिन सिंचाई के अभाव में धान मर रहा है. वर्षों पूर्व इस क्षेत्र के किसानों की सिंचाई के लिए हनुमाना डैम बनाया गया और केनाल द्वारा किसान के खेत में पानी पहुंचाने का इंतजाम किया गया, लेकिन क्षेत्र के उत्तरी क्षेत्र में किसानों का धान एक पटवन के चलते मर रहा है. इस क्षेत्र के किसानों को खरौंधा बांध शाखा नहर से पानी देना है. जिसकी क्षमता 250 क्यूसेक पानी देने का है. इस केनाल से 0 से 728 चेन तक पानी आना चाहिए, लेकिन मात्र 350 चेन तक ही बाहर में पानी आता है. इस नजर से 10 हजार हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होनी है, लेकिन विभाग के लचर व्यवस्था से आधे दूरी तक ही नहर में पानी आ रहा है. शेष क्षेत्र में नहर का पानी नहीं पहुंच पा रहा है. जिस कारण किसान के खेत में नहर का पानी नहीं जा रहा है और धान भी मर रहा है. क्षेत्र के किसान अरविंद मिश्र, अमर मिश्र, अशोक यादव, सोने लाल सिंह, मनोज सिंह, विभीषण सिंह, अनुज सिंह सहित सैकड़ों किसानों ने बताया कि हमलोग किसी तरह डीजल चला कर धान की रोपनी किये है अब एक बार पटवन के अभाव में धान मर रहा है. सरकार द्वारा दिये जा रहे डीजल अनुदान की राशि अगले वर्ष भी नहीं मिला था और इस वर्ष भी अभी तक नहीं मिल पा रहा है. क्या कहते हैं कनीय अभियंता बिजीखरबा सिंचाई प्रमंडल के कनीय अभियंता, आनंद कुमार ने बताया कि आधे केनाल तक पानी जा रहा है, एक जगह आउटलेट से पानी बह रहा है अगर उसे किसानों द्वारा बंद कर दिया जाता तो नहर के अंतिम चैन तक पानी चला जाता. उन्होंने बताया कि हम कोशिश कर रहे हैं कि नहर में किसी तरह अंतिम छोर तक दो तीन दिन में पानी पहुंचा देंगे.

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