बांका : जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में रविवार को आनंदी कॉलोनी में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसकी अध्यक्षता प्रो. राम नरेश भगत ने व मंच का संचालन शंकर दास ने की. काव्य गोष्ठी की शुरुआत करते हुए सबसे पहले देश के असहिष्णुता पर बहस हुई.
जिसमें सबों की एक राय ली गयी निर्णय के तौर पर कहा गया कि भारत एक सहिष्णु देश है. कुछ राजनेता इस शब्द पर रोटी सेंकना चाहते हैं.
जो नहीं होने वाला है. वही कार्यक्रम में गजल पेश करते अली ईमाम ने कहा कि वो बात नहीं सुनता, बेदर्द जमाना, सफर जारी है आज और कल के बीच, कलम की धार पैनी है, शब्द अर्थ रचना के बीच. जबकि शकर दास ने कहा गांधी तुम आंधी, छाये बन कर बादल. आशीष महासागर का कहना था कि सच को छुपाने के लिए झूठ पर झूठ बोलता गया. गोष्ठी की रंग जमाते हुए सुनील झा सारंग ने कहा कि तभी मुझे भी कविता लिखने का हो गया भूत सवार की लाईन पेश कर लक्ष्मण मंडल ने ताली बटोर ली.
शिव कुमार सिंह ने वर्तमान की जलवायु पर हालात पेश करते हुए कहा कि हो रही धरती गरम, मौसम भी बदल रहा. माहौल को संभालते हुए प्रमोद कुमार सिंह ने कह डाली कि वेशर्म आंखे अपनी बनी है, नजरों को लेकर अपनी ठनी है. फिर क्या था इसी पर राम किशोर सिंह ने तपाक से कह ही दिया कि किनको कोंसू किन्हें प्यार करूं, किस किसकी मैं इंतजार करूं.
प्रभाकर सुमन के वाक्य में न मंदिर टूटा न मस्जिद टूटा, टूटा सिर्फ दिल. अशोक पंडित ने वाह रे वाह बेरोजगारी, कब आयेगी मेरी बारी. वहीं राष्ट्र भक्ति दिखाते हुए अम्बिका झा हनुमान ने कहा कवि ऐसा गीत गाओ, अपना राष्ट्र बनाओ कह कर कार्यक्रम की अंतिम रूप दे डाली. काव्य गोष्ठी को अन्य कवियों ने भी संबोधित किया. इस मौके पर दीनानाथ प्राण, नंद किशोर कर्ण प्रेमधन सहित अन्य महानुभाव उपस्थित थे.