खोखला साबित हो रहा दावा
जिले में लड़कियों को उच्च शिक्षा के लिए एक भी सरकारी कॉलेज उपलब्ध नहीं 63 सरकारी हाइस्कूलों में लड़कियों के लिए सिर्फ चार जिले के सभी 10 प्रोजेक्ट हाई स्कूल भी खस्ताहाल में, प्रधानाध्यापक सहित शिक्षकों व संसाधनों का अभाव बांका : महिलाओं को शिक्षा के क्षेत्र में समान अवसर उपलब्ध कराने का राज्य सरकार […]
जिले में लड़कियों को उच्च शिक्षा के लिए एक भी सरकारी कॉलेज उपलब्ध नहीं
63 सरकारी हाइस्कूलों में लड़कियों के लिए सिर्फ चार
जिले के सभी 10 प्रोजेक्ट हाई स्कूल भी खस्ताहाल में, प्रधानाध्यापक सहित शिक्षकों व संसाधनों का अभाव
बांका : महिलाओं को शिक्षा के क्षेत्र में समान अवसर उपलब्ध कराने का राज्य सरकार का दावा बांका जिले में खोखला साबित हो रहा है. जिले में लड़कियों की शिक्षा भगवान भरोसे है. लड़कियों को शिक्षा के प्रति लगाव पैदा करने के दावे के साथ भले ही साइकिल व पोशाक की सुविधा दी जा रही हो, लेकिन बुनियादी तौर पर यहां स्कूलों की ही सुविधा उन्हें नदारद है. फिर भी यहां की लड़कियां पढ़ रहीं हैं, तो अपनी लगन और मेहनत के बूते. वरना जिले में सरकारी स्तर पर उनकी शिक्षा के लिए जो सरकारी इंतजामात हैं वे इस पूरी व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी हैं.
63 में सिर्फ चार हाई स्कूल छात्राओं के लिए : जिले में छात्राओं के लिए एक भी सरकारी कॉलेज नहीं है. निजी पहल पर स्थापित एकमात्र पीटीजे महिला इंटर कॉलेज शहर में उनकी उम्मीद का एकमात्र केंद्र है. बांका जिले में लड़कियों के लिए सिर्फ 4 नियमित सरकारी उच्च विद्यालय हैं. इनमें से भी एक में लड़के और लड़कियां दोनों नामांकित हैं. जबकि जिले में सरकारी हाई स्कूलों की संख्या 63 है. लड़कियों के लिए 10 प्रोजेक्ट स्कूल जरूर हैं, लेकिन वे खास्ता हाल में हैं.
किसी भी प्रोजेक्ट स्कूल में एचएम नहीं हैं. शिक्षकों का भी अभाव है. फलस्वरूप इनमें कई में छात्राओं की उपस्थिति नगण्य रह गयी है.
गर्ल्स हाई स्कूलों में संसाधनों का घोर अभाव: अब सवाल यह है कि शिक्षा के क्षेत्र में लड़कियों को यह कैसी समानता और समान अवसर प्राप्त है? 63 सरकारी हाई स्कूलों में लड़कियों के लिए सिर्फ चार विद्यालय तीन प्रखंडों में हैं.
इनमें एसएस बालिका उवि बांका के आलावा अमरपुर के विश्वासपुर में एक तथा शंभुगंज प्रखंड के कसबा एवं कदराचक में 1-1 हाई स्कूल लड़कियों के नाम हैं. अमरपुर के विश्वासपुर गर्ल्स हाइस्कूल में लड़कियों के साथ बराबर संख्या में लड़के भी नामांकित हैं. अमरपुर को छोड़ इनमें किसी विद्यालय में नियमित एचएम नहीं हैं.