गतिरोध. रखरखाव के अभाव में बेकार हो गये वाटर सप्लाई प्लांट

इतिहास बन गये शहर के सार्वजनिक जलापूर्ति नल पीएचइडी की पाइप लाइन लगे नल भी लोगों ने तोड़ डाले. विभाग की लापरवाही व हमारी उदासीनता से अब इसका अस्तित्व भी मिटता जा रहा है. बांका : लोक स्वास्थ्य एवं अभियंत्रण विभाग के तहत शहर में लगाये गये ज्यादातर सप्लाई वाटर प्वाइंट रखरखाव के अभाव में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 1, 2016 5:49 AM

इतिहास बन गये शहर के सार्वजनिक जलापूर्ति नल

पीएचइडी की पाइप लाइन लगे नल भी लोगों ने तोड़ डाले. विभाग की लापरवाही व हमारी उदासीनता से अब इसका अस्तित्व भी मिटता जा रहा है.
बांका : लोक स्वास्थ्य एवं अभियंत्रण विभाग के तहत शहर में लगाये गये ज्यादातर सप्लाई वाटर प्वाइंट रखरखाव के अभाव में बेकार पड़े हैं. कई जगहों पर इन नलों से पानी बेकार बहता रहता है. लोग चाहकर भी इनसे पानी नहीं ले सकते. ज्यादातर नलों में टोटी नहीं रह गयी है. इनसे निकलने वाला पानी मनमानी बहकर सड़कों और गलियों में कीचड़ पैदा कर रहा है. इसे देखने वाला कोई नहीं है.
कभी डेढ़ सौ से ज्यादा थे ऐसे नल: शहर में इस तरह के दर्जनों सप्लाई वाटर प्वाइंट लगे हैं. कभी इनकी संख्या इसी शहर में डेढ़ सौ के आसपास थी. अब इनकी संख्या चौथाई भी नहीं रह गयी है. अनेक स्थानों पर ये प्वाइंट इतिहास की चीज बन कर रह गये हैं. जहां चालू हालत में हैं वहां भी जरूरी नल और चबूतरा आदि नहीं रहने से इनका कोई उपयोग नहीं हो पाता. ये नल प्वाइंट शहर के लोगों की प्यास बूझाने की जगह उनकी संत्रास बढ़ा रहे हैं.
विभागीय लापरवाही की भेंट चढ़ा उद्देश्य : विभागीय लक्ष्य था कि पीएचईडी के पाईप लाईन से जोड़कर इन नलों के जरिये घरेलू कनेक्शन के अलावा सार्वजनिक जलापूर्ति किया जाय. लेकिन विभाग का यह लक्ष्य खुद विभाग की ही लापरवाही की भेंट चढ़ गया. जानकारों के मुताबिक कभी शहर के टेलीफोन एक्सचेंज, पुरानी ठाकुरबाड़ी, आजाद चौंक, विजय नगर चौंक, मल्लिकटोला, अलीगंज, शास्त्री चौंक, करहरिया दुर्गा स्थान, जगतपुर, डीएम कोठी चौंक, मुर्गीडीह, बाबूटोला, अमरपुर रोड आदि जगहों पर पीने से लेकर नहाने तक का पानी लेने के लिए ऐसे नलों के सामने सुबह, दोपहर और शाम को भीड़ लगती थी. लेकिन अब नजारा बदल चुका है. सब चापाकलों पर आश्रित हैं.
संसाधन बढ़े, कमतर होती गयी क्षमता : वैसे भी बांका शहर में पीएचईडी की वाटर सप्लाई क्षमता लगातार कमतर होती गयी है. जो वर्तमान में अपने न्यूनतम स्तर पर है. जबकि विभाग के संसाधन लगातार बढ़ते रहे हैं. शहर के बुजूर्ग कहते हैं जब बांका शहर में लोक स्वास्थ्य विभाग की जलापूर्ति व्यवस्था सिर्फ एक ओवरसियर और दो एक मिस्त्री खलासी के जिम्मे थी तब इसकी यहां सर्वश्रेष्ठ सेवा थी.
लेकिन आज जब यहां कार्यपालक अभियंता से लेकर तकनीकी और गैर तकनीकी कर्मचारियों की एक बड़ी फौज विभाग में मौजूद है तब इस विभाग की शहर में कायम की गयी सार्वजनिक वाटर सप्लाई प्लाइंट योजना दम तोड़ने की स्थिति में है.

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