शराब को हाथ भी नहीं लगाते किसान भूषण नुनेश्वर मरांडी

55 एकड़ जमीन में आम, अमरूद, नींबू, लीची का बगीचा 2007-08 में राज्य सरकार ने दिया था किसान भूषण कटोरिया : वैसे तो आमतौर पर यही कहा जाता है कि आदिवासी समुदाय में अतिथियों के स्वागत में शराब नहीं परोसा जाय, तो सम्मान अधूरा माना जाता है. लेकिन इससे ठीक विपरीत एक मेहनती आदिवासी किसान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 5, 2016 6:33 AM

55 एकड़ जमीन में आम, अमरूद, नींबू, लीची का बगीचा

2007-08 में राज्य सरकार ने दिया था किसान भूषण
कटोरिया : वैसे तो आमतौर पर यही कहा जाता है कि आदिवासी समुदाय में अतिथियों के स्वागत में शराब नहीं परोसा जाय, तो सम्मान अधूरा माना जाता है. लेकिन इससे ठीक विपरीत एक मेहनती आदिवासी किसान नुनेश्वर मरांडी ने जीवन में कभी भी शराब को हाथ नहीं लगाया. वर्ष 2007-08 में राज्य सरकार ने नुनेश्वर को बांका जिले का किसान भूषण का सम्मान दिया था. लगभग 55 एकड़ भूमि पर मैट्रिक पास नुनेश्वर ने अपना पसीना इस तरह बहाया है कि आज इसकी चर्चा गांव से लेकर राजधानी तक है. मद्यपान निषेध ही नुनेश्वर मरांडी की तरक्की का राज भी है.
नक्सल प्रभावित आनंदपुर ओपी क्षेत्र अंतर्गत कटोरिया-सिमुलतला मार्ग पर स्थित बाबूमहल गांव में है नुनेश्वर मरांडी का बगीचा. जहां गत 15 दिसंबर 2011 को सेवा यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस बगीचा में अमरूद व पपीते का स्वाद चखा था. नुनेश्वर एक इंच भी जमीन को खाली नहीं छोड़ते हैं. वे बारी में खेत के अलावा आरी यानि अड्डे पर भी पपीता, हल्दी, ओल, अरूआ आदि की खेती कर भरपूर आमदनी प्राप्त करते हैं.
नुनेश्वर मरांडी ईश्वर पर भरोसा नहीं रखते, उनका मानना है कि कर्म ही सर्वोपरि है. मेहनत व सद्कर्म का फल मीठा होता है. नुनेश्वर का बगीचा सालों भर फलों से लदा रहता है. इनके बगीचा में अठारह किस्म के आम के पेड़ हैं, जिसमें तोताफली, शुक्कुल, आम्रपाली, मल्लिका, दशहरी, हिमसागर, सिंधु, ओरनिमा, जरदालु, रानी पसंद, सूर्यखास, गुलाब खास, कच्चा मीठा आदि आम शामिल हैं. इसके अलावा बेहतर किस्मों के अमरूद, नींबू, लीची आदि का भी बगीचा नुनेश्वर ने लगाया है. किसान भूषण नुनेश्वर मरांडी के बगीचे में छोटे-छोटे सात पोखरों में मछली पालन होता है.
वहीं एक ओर मुरगी पालन भी होता है. जहां हमेशा लगभग दो हजार से भी अधिक चूजे रहते हैं. डेयरी में दर्जन भर दुधारू गायें भी हैं. बकरी पालन के लिए भी बगीचा परिसर में ही छागर पाले जाते हैं. इसके बच्चों की बिक्री सालों भर होती है. नुनेश्वर मरांडी की पांच एकड़ भूमि सिर्फ सब्जी के लिए ही सुरक्षित रहती है. इसमें वे आलू, बैगन, टमाटर, मटर, फूल व बंधागोभी, धनिया, प्याज आदि उगाते हैं. साथ-साथ खीरा, कद्दू, झींगा, परोल आदि की भी वे खेती करते हैं. नुनेश्वर ने अपने बगीचा में लगभग आठ हजार से भी अधिक इमारती पेड़ लगाये हैं. इनमें शीशम, सागवान, गम्हार, रोजउड आदि शामिल हैं. नुनेश्वर अब आयुर्वेदिक खेती की ओर भी रुचि ले रहे हैं.

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