बकरी है गरीबों का एटीएम
किसानों के लिए पशुपालन खेती का सर्वश्रेष्ठ विकल्प कृषि विज्ञान केंद्र ने लगाया पशु स्वास्थ्य जांच व टीकाकरण शिविर बांका : कृषि विज्ञान केंद्र बांका ने शनिवार को जगतपुर में किसान चौपाल सह पशु स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया. इसमें 50 से अधिक महिला एवं पुरुष पशुपालक एवं किसानों ने भाग लिया. कार्यक्रम में कृषकों […]
किसानों के लिए पशुपालन खेती का सर्वश्रेष्ठ विकल्प
कृषि विज्ञान केंद्र ने लगाया पशु स्वास्थ्य जांच व टीकाकरण शिविर
बांका : कृषि विज्ञान केंद्र बांका ने शनिवार को जगतपुर में किसान चौपाल सह पशु स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया. इसमें 50 से अधिक महिला एवं पुरुष पशुपालक एवं किसानों ने भाग लिया. कार्यक्रम में कृषकों को बदलते मौसम के परिप्रेक्ष्य में खेती एवं पशु पालन के गुर सिखाये गये. पशु विशेषज्ञ डाॅ धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि किसानों के समक्ष खेती के बाद दूसरा सहारा पशुपालन ही है. मौसम जब करवट लेता है तो पूरी फसल नष्ट हो जाती है.
लेकिन पशु के उत्पादन पर बहुत कम असर पड़ता है. पशु का उत्पाद जैसे कि दूध, मांस आदि की कीमत भी कभी कम नहीं होती है. यदि दूध आज 35 रुपये किलो बिक रहा है तो कल 36 रुपये हो सकता है. इसलिए किसान को कृषि के साथ साथ पशुपालन करने की आवश्यकता है. पशु में बकरी पालन का एक अलग महत्व है.
यह गरीबों का एटीएम है. जब चाहे जरूरत के अनुसार आप इसको बेच कर उचित कीमत प्राप्त कर सकते हैं. बकरी में मुख्य रूप से छेरा (पीपीआर) बीमारी होती है, लेकिन इससे बकरी को बचाया जा सकता है. 2015 मई में जगतपुर में कैंप लगा कर बकरियों को पीपीआर बीमारी का टीकाकरण किया गया था. जागरूकता की कमी होने के कारण 300 बकरियों काे ही टीका लगाया गया था, लेकिन 2015 में ही जब यह बीमारी फैली तो टीका वाली सभी बकरियां स्वस्थ रही.
वहीं जिनका टीकाकरण नहीं हुआ था उनमें से 500 से अधिक बकरी की मौत हो गयी. इसके कारण जगतपुर गांव के पशुपालकों को 15 लाख रुपये से अधिक का नुकसान हुआ था. ग्रामीणों के आग्रह पर पुन: पशु स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया है. इसमें 400 से अधिक बकरियों का टीकाकरण किया गया. इसमें महिलाओं एवं युवा को टीका देने की जानकारी भी दी गयी. इस अवसर पर कृषि वैज्ञानिक डाॅ रघुवर साहू ने धान की फसल के बारे में एवं मृदा वैज्ञानिक संजय मंडल ने मिट्टी जांच की जानकारी भी किसानों को दी.