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नहीं बना स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट

बीत गये ढ़ाई साल. सदर अस्पताल से गंभीर नवजात कर देते हैं रेफर सदर अस्पताल में स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट बनने की 50 लाख की योजना है. लेकिन यह ढ़ाई वर्षों से अधूरी है. निर्माण पूरा होने पर यह जिले के नवजात शिशुओं के लिए वरदान साबित होगा. इस अोर ध्यान देने की जरूरत […]

बीत गये ढ़ाई साल. सदर अस्पताल से गंभीर नवजात कर देते हैं रेफर
सदर अस्पताल में स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट बनने की 50 लाख की योजना है. लेकिन यह ढ़ाई वर्षों से अधूरी है. निर्माण पूरा होने पर यह जिले के नवजात शिशुओं के लिए वरदान साबित होगा. इस अोर ध्यान देने की जरूरत है.
बांका : बांका सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू यानी स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट पिछले ढाई वर्षों में भी नहीं बन सका है. शिशु स्वास्थ्य के लिए इस इंटेंसिव केयर यूनिट का निर्माण बिहार मेडिकल सर्विसेज इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी लिमिटेड के द्वारा कराया जा रहा है. इस इकाई की निर्माण लागत करीब 50 लाख है.
करीब ढ़ाई वर्ष पूर्व सदर अस्पताल परिसर के पूर्वी छोर पर इसके लिए भवन निर्माण का कार्य आरंभ हुआ था जो अब तक पूरा नहीं हो सका है. जबकि बांका सदर अस्पताल में हर रोज औसतन डेढ़ दर्जन प्रसव होते हैं तथा दर्जनों शिशुओं को जांच व इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया जाता है. स्थानीय स्तर पर एसएनसीयू नहीं रहने की वजह से गंभीर हालत में बच्चों को भागलपुर रेफर कर दिया जाता है. सर्वाधिक परेशानी नवजात शिशुओं और उनकी माताओं को हो रही है. लेकिन स्वास्थ विभाग इसे नजरअंदाज कर रहा है.
ऐसा नहीं इसे लेकर स्थानीय स्तर से कोई पहल नहीं हुई बल्कि इन ढाई वर्षों में बच्चों और नवजात शिशुओं की जांच और जीवन रक्षा के लिए इस स्पेशल केयर यूनिट के बुनियादी ढांचे को शीघ्र पूरा करने के लिए कई बार स्वास्थ विभाग के राज्य मुख्यालय से पत्राचार किए गए. लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ. इस इकाई का निर्माण कार्य पिछले कई महीनों से बंद है. फिलहाल यह इकाई मूर्तरूप लेने के पूर्व ही अस्पताल के पूर्वोत्तर कोने में लावारिस पड़ा दम तोड़ता प्रतीत हो रहा है.
सिर्फ सदर अस्पताल में रोज होते हैं डेढ़ दर्जन प्रसव : अस्पताल के अधिकारी बताते हैं कि सिर्फ सदर अस्पताल में हर रोज डेढ़ दर्जन प्रसव होते हैं. अक्टूबर से लेकर फरवरी माह के दौरान यह औसत काफी बढ़ जाता है.
इस दौरान अस्पताल में जन्म लेने वाले तथा विभिन्न प्रखंडों के स्वास्थ्य केंद्रों से रेफर होकर यहां आने वाले नवजात शिशुओं की जांच व चिकित्सा के लिए पर्याप्त संसाधन सदर अस्पताल में उपलब्ध ना होने की वजह से उन्हें मजबूरी में भागलपुर रेफर कर दिया जाता है. या फिर सक्षम होने पर उन नवजातों के माता पिता किसी निजी नर्सिंग होम का सहारा लेते हैं. अगर जिले भर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उपकेंद्रों में होने वाले प्रसव इसमें जोड़ दिए जांय तो इसका औसत रोजाना 5 दर्जन से ज्यादा हो जाता है.
बीएमएसआईसीएल ने ली है निर्माण की जिम्मेदारी
नवजात शिशुओं के लिए स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट के सुविधा संपन्न भवन का निर्माण सदर अस्पताल परिसर के ही एक हिस्से में ढाई वर्ष पूर्व आरंभ किया गया था. करीब 50 लाख की इस परियोजना का 10 फीसदी भी अब तक पूरा नहीं हो पाया है. मकान के कुछ हिस्से बने हैं लेकिन और कहीं कुछ नहीं. निर्माणाधीन मकान के समक्ष ही इसके निर्माण के लिए प्रयुक्त होने वाली सामग्री जहां तहां बिखरी पड़ी है. इस इकाई का निर्माण बिहार मेडिकल सर्विसेज इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी लिमिटेड के द्वारा कराया जा रहा है. इस इकाई में अलग से चार शिशु रोग विशेषज्ञों की नियुक्ति का प्रावधान है. पारामेडिकल कर्मचारी तथा नर्स भी प्रतिनियुक्त किए जाने हैं. इस में लाखों की मशीन लगनी है जिनमें रेडिएंट वार्मर जैसी बेशकीमती मशीन शामिल हैं.
वरदान सिद्ध होगा स्पेशल केयर यूनिट
बांका में स्पेशल न्यू बॉर्न बेबी केयर यूनिट चालू हो जाने से यह इस जिले के नवजात शिशुओं की स्वास्थ्य जांच और हिफाजत के लिए वरदान सिद्ध हो सकता है. इस यूनिट में रेडिएंट वार्मर हाइपोथर्मिया से पीड़ित नवजात शिशुओं की रक्षा करेगी. इसके अलावा बर्थ एस्फेक्सिया, लो बर्थ वेट, प्रीमैच्योर डिलीवरी आदि स्थितियों में इस इंटेंसिव केयर यूनिट में नवजात शिशुओं की हिफाजत होगी. इस यूनिट के लिए 4 शिशु रोग विशेषज्ञ पदस्थापित होंगे.
बड़ी संख्या में पारा मेडिकल कर्मचारी तथा नर्स भी यहां पर स्थापित होंगे. फिलहाल बांका सदर अस्पताल में नवजात शिशुओं की जांच व चिकित्सा के लिए कोई विशेष इंतजाम नहीं है. यहां एक शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुनील झा पदस्थापित हैं लेकिन हाल ही में उन्हें नशा मुक्ति केंद्र का प्रभार सौंप दिया गया है. हालांकि जरुरत पड़ने पर वही यहां नवजातों की जांच व चिकित्सा करते हैं.
लगातार पत्राचार से भी नहीं हो रहा निदान
अस्पताल परिसर में प्रस्तावित स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट के लिए भवन का निर्माण ढाई साल से चल रहा है. पिछले कुछ महीनों से इसका निर्माण भी बंद है. इस संबंध में सिविल सर्जन को कई बार लिखा गया. सिविल सर्जन ने भी इस संबंध में स्वास्थ विभाग के राज्य मुख्यालय से कई बार पत्राचार किया है, लेकिन अब तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं हो सकी है. यह यूनिट यहां के लिए वरदान सिद्ध हो सकता है. लेकिन इस का भविष्य अधर में है.
सुनील कुमार चौधरी, प्रबंधक, बांका सदर अस्पताल

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