प्लास्टिक-प्लास्टिक हो रही धरती
दूषित हो रहा पर्यावरण. प्लास्टिक व पॉलीथिन कचरे से बंजर हो रही जमीन पॉलीथिन के उपयोग की आदत को बदलने की जरूरत है. प्लास्टिक व पॉलीथिन का कचरा हमारे लिए मुश्किल खड़ी करनेवाला है. बांका : प्लास्टिक कचरा आज देश भर में एक विकट समस्या बन चुकी है. इस समस्या से निपटने और पर्यावरण संरक्षण […]
दूषित हो रहा पर्यावरण. प्लास्टिक व पॉलीथिन कचरे से बंजर हो रही जमीन
पॉलीथिन के उपयोग की आदत को बदलने की जरूरत है. प्लास्टिक व पॉलीथिन का कचरा हमारे लिए मुश्किल खड़ी करनेवाला है.
बांका : प्लास्टिक कचरा आज देश भर में एक विकट समस्या बन चुकी है. इस समस्या से निपटने और पर्यावरण संरक्षण के लिए देशभर में विभिन्न संगठन और सरकारी एजेंसियां अभियान चला रही हैं. प्लास्टिक और पॉलीथिन के बढ़ते उपयोग को रोकने के लिए कानून भी बनाए गए हैं. लेकिन बांका सहित जिले भर में इसका ना तो कोई असर है और ना ही इसके लिए कोई संगठन या सरकारी गैर सरकारी एजेंसी ही अब तक सामने आई है.
प्लास्टिक आम जनजीवन में रोजमर्रा का एक जरुरी अंग बन गया है. घर से लेकर बाजार तक और सरकारी दफ्तरों से लेकर शिक्षण संस्थानों तक में प्लास्टिक का धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है. वह भी बड़े पैमाने पर. पॉलीथिन के उपयोग की इसमें एक बड़ी हिस्सेदारी है. लिहाजा यहां प्लास्टिक और पॉलीथिन कचरे भी बेहिसाब बढ़े हैं. इनके निपटान की यहां कोई समुचित व्यवस्था नहीं है. फलस्वरुप यहां की संपूर्ण धरती प्लास्टिक-प्लास्टिक हो रही है.
प्लास्टिक और पॉलीथिन कचरों की वजह से यहां की जमीन बंजर हो रही है. लोगों का स्वास्थ्य खतरे में है. माल मवेशियों की जाने जा रही हैं. पर्यावरण नष्ट हो रहा है. अनुसंधान में यह बात सामने आई है कि प्लास्टिक के बोतल और कंटेनर का इस्तेमाल बेहद खतरनाक है. प्लास्टिक के बर्तन में गर्म खाना या पानी रखने से कैंसर तक हो सकता है. प्लास्टिक ज्यादा धूप या तापमान की वजह से गर्म होने पर इसमें मौजूद नुकसानदेह केमिकल डाइअॉक्सिन का रिसाव शुरू हो जाता है जो पानी में घुलकर शरीर को भारी नुकसान पहुंचाता है.
प्लास्टिक से बचने की वजह
अधिकतर प्लास्टिक तेलों से बनते हैं जो स्वयं गैर नवीकरणीय स्रोत हैं.
प्लास्टिक अत्यधिक ज्वलनशील है, इसलिए इससे आग भड़कने की संभावना ज्यादा रहती है.
प्लास्टिक में लिपटे खाद्यान्नों की वजह से मवेशी इसे खा लेते हैं. इससे उनका दम घुट जाता है और वे मर जाते हैं.
प्लास्टिक के उपयोग से नदी नाले के साथ दूसरे जल स्रोतों का बहाव अवरुद्ध हो रहा है.
इससे जलीय जीव जंतु नष्ट होने के कगार पर पहुंच गये हैं जो पर्यावरण संतुलन के लिए बड़ा खतरा है.
प्लास्टिक और पॉलीथिन कचरे से नुकसान
प्लास्टिक के कचरे से पशु-पक्षियों की मौत का ग्रास बन रहे हैं. लोगों में तरह तरह की बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है.
जमीन की उर्वरा शक्ति नष्ट हो रही है तथा भूगर्भीय जल स्रोत दूषित हो रहे हैं.
प्लास्टिक के नियमित संपर्क में रहने से खून में थेलेट्स की मात्रा बढ़ जाती है. इससे गर्भस्थ शिशु का विकास अवरुद्ध तथा प्रजनन अंगों को नुकसान पहुंचता है.
प्लास्टिक उत्पादन में प्रयोग होने वाला बिस्फेनॉल रसायन शरीर में डायबिटीज व लीवर एंजाइम को असामान्य कर देता है.
पॉलीथिन कचरा जलाने से उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड तथा डायलॉग सीन डाईऑक्सिन गैस सांस, त्वचा आदि बीमारियों का कारण बनते हैं.
रंगीन पॉलीथिन को रिसाइकिल करने से पर्यावरण को खतरा है. प्लास्टिक कचरे के जमीन में दबने से वर्षा जल का भूमिगत संचरण नहीं हो पाता.
लोगों के स्वास्थ्य व जानवरों के जीवन के लिए खतरा
प्लास्टिक कचरे के निपटान के लिए नहीं है कोई बंदोबस्त
मनुष्य व पशुअों के लिए घातक है प्लास्टिक व पॉलीथिन का उपयोग
पॉलीथिन पेट्रोकेमिकल उत्पाद है, जिनमें हानिकारक रसायनों का इस्तेमाल होता है. रंगीन पौलिथिन मुख्यतः लेड, ब्लैक कार्बन, क्रोमियम तथा कॉपर आदि के महीन कणों से बनता है जो मनुष्य के साथ सभी जीव जंतुओं के स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक और खतरनाक है.
– डॉक्टर सुनील कुमार झा, सीनियर मेडिकल अफसर, बांका सदर अस्पताल