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गायब हो गये सप्लाई वाटर पोस्ट

एक दशक पूर्व तक करीब डेढ़ सौ की संख्या में शहर में कायम थे पीएचइडी के सार्वजनिक वाटर सप्लाई पोस्ट लेकिन अब दो दर्जन भी नहीं रह गयी है शहर में अब इनकी संख्या. बांका : शहर के सार्वजनिक जल आपूर्ति नल अब इतिहास बनकर रह गये हैं. लोक स्वास्थ्य व अभियंत्रण विभाग द्वारा शहर […]

एक दशक पूर्व तक करीब डेढ़ सौ की संख्या में शहर में कायम थे पीएचइडी के सार्वजनिक वाटर सप्लाई पोस्ट लेकिन अब दो दर्जन भी नहीं रह गयी है शहर में अब इनकी संख्या.
बांका : शहर के सार्वजनिक जल आपूर्ति नल अब इतिहास बनकर रह गये हैं. लोक स्वास्थ्य व अभियंत्रण विभाग द्वारा शहर में लगाये गये ज्यादातर सप्लाई वाटर प्वाइंट रख-रखाव के अभाव में बेकार पड़े हैं. कई जगह जो वाटर प्वाइंट चालू हैं, लोग चाहकर भी उन से पानी नहीं ले सकते. ज्यादातर नलों में टोटी नहीं रह गयी है. उनसे निकलने वाला पानी अनावश्यक बहकर सड़कों और गलियों में कीचड़ पैदा कर रहा है. लेकिन इसे देखने वाला कोई नहीं है.
शहर में इस तरह के दर्जनों सप्लाई वाटर प्वाइंट लगे हैं. कुछ वर्ष पूर्व तक इनकी संख्या इसी शहर में करीब डेढ़ सौ के आसपास थी. इनकी संख्या अब कोई दो दर्जन के आस पास रह गयी है. अनेक स्थानों पर ये प्वाइंट इतिहास की चीज बनकर रह गये हैं. जहां ये चालू हाल में हैं वहां भी जरूरी नल और चबूतरा आदि नहीं रहने से इनका कोई कोई उपयोग नहीं रह गया है. ये नल प्वाइंट शहर के लोगों की प्यास बुझाने की जगह अब उनकी परेशानी बढ़ा रहे हैं.
विभागीय उपेक्षा की भेंट चढ़ गयी योजना: लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की यह योजना यहां अपने उद्देश्यों से भटक कर रह गयी है. विभागीय लक्ष्य था कि पाइपलाइन से जोड़कर इन नलों के जरिये घरेलू कनेक्शन के अलावा सार्वजनिक जल आपूर्ति की जाये. लेकिन विभाग का लक्ष्य खुद विभाग की ही लापरवाही की भेंट चढ़ गया.
जानकारी के मुताबिक कभी शहर के टेलीफोन एक्सचेंज, पुरानी ठाकुरबाड़ी, आजाद चौक, विजयनगर चौक, मलिकटोला, अलीगंज, शास्त्री चौक, करहरिया दुर्गा स्थान, जगतपुर, डीएम कोठी रोड, मुर्गीडीह, बाबूटोला, अमरपुर रोड आदि जगहों पर पीने से लेकर नहाने तक का पानी लेने के लिए ऐसे नलों के सामने सुबह से लेकर देर शाम तक लोगों की भीड़ लगी रहती थी. लेकिन अब नजारा बदल चुका है. शहर के लोग अब घरेलू बोरिंग मोटर या चापाकलों पर आश्रित होकर रह गये हैं.
सात में से सिर्फ तीन पंप कारगर: शहर में सार्वजनिक जलापूर्ति के लिए बने जल मीनारों में पानी संग्रह हेतु लगाए गए 7 मोटर पंपों में से सिर्फ तीन चालू हालत में हैं. इनमें से एक पंप से जल मीनार में पानी ही नहीं चढ़ सकता. बिजली रहने पर पाइपलाइन से सीधी जलापूर्ति होती है. लेकिन यह जलापूर्ति कब होगी और कब नहीं, यह बिजली की उपलब्धता पर निर्भर करता है. शेष एकमात्र मोटर पंप बड़ी पानी टंकी के नीचे है. इसी पर शहर में जलापूर्ति का सारा दारोमदार है. यह पर्याप्त नहीं है.

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