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रक्षा का वचन ले, देंगी समृद्धि का आशीष
रक्षाबंधन आज . जिले भर में धूमधाम से मनाया जायेगा भाई-बहन का त्योहार आज रक्षा बंधन का पवित्र त्योहार है. राखी की खरीदारी हो चुकी है. भाई भी बहन को देने वाले उपहारों की खरीदारी कर चुके हैं. दूर रहने वाले भाई डाक और कूरियर के इंतजार में आज भी रहेंगे. लेकिन, चाहे जो हो, […]
रक्षाबंधन आज . जिले भर में धूमधाम से मनाया जायेगा भाई-बहन का त्योहार
आज रक्षा बंधन का पवित्र त्योहार है. राखी की खरीदारी हो चुकी है. भाई भी बहन को देने वाले उपहारों की खरीदारी कर चुके हैं. दूर रहने वाले भाई डाक और कूरियर के इंतजार में आज भी रहेंगे. लेकिन, चाहे जो हो, गुरुवार को भाई-बहन के प्रेम का प्रतिक यह त्योहार धूमधाम से मनाया जायेगा.
बांका : रक्षाबंधन पर्व को लेकर पंडित का मानना है कि बनारस पंचाग के अनुसार रक्षा सूत्र बांधने का शुभ मुहूर्त गुरुवार को दिन कि 9 बजकर 45 मिनट के बाद से भद्रा प्रारंभ होकर रात के 6.15 तक है. भद्रा को शुभ माना गया है. इस लिए दोनों के बीच का समय ही शुभ है.
दूर देश से आया भाई
राखि के पर्व को मनाने के लिए देश-विदेश में काम कर रहे भाई भी अपनी बहनों से राखि बंधवाने के लिए पहुंच गये और पहुंच भी रहे है. भाई के पहुंचने से बहनें काफी खुश हैं.
रक्षासूत्र बांधने के मंत्र की मान्यता
राजा बलि दानी राजा थे जिसके पुण्य से इंद्र का इंद्रासन डोलने लगा यह देख इंद्र के देवताओं अपने इंद्रासन को बचाने की गुहार लगायी. इस पर भगवान विष्णु ने 52वां अवतार अंगुली का रूप एवं ब्राह्मण का वेश धारण कर श्रावण मास के पूर्णिमा के सायंकाल में बलि के दरबाजे पर पहुंचकर तीन पग पृथ्वी दान में देने को कहा.
इस पर राजा ने हंस कर अपने से माप कर लेने का कहा. तब भगवान ने एक पग में आकाश- पाताल एवं दूसरे पग में पृथ्वी को माप लिया. इसके बाद राजा से तीसरा पग धरती की मांग की. जिसपर राजा ने अपने शरीर को माप कर ले लेने को कहा. यह सुन कर भगवान ने राजा को कहा जाओ राजा बन कर रहो. लेकिन दान जब करोगे तो इसके पुण्य का भागी तुम नहीं मैं बनूंगा. इसके लिए भगवान ने बलि को मंत्र येन बद्धों बली राजा दानवेंद्रों महाबल: तेन त्वां प्रति बध्नामि रक्षे मा चल मा चल: से बांध दिया. तब से इस मंत्र से रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा चली आ रही है.
भद्रा काली में क्यों बांधी जाती है राखी
सांसारिक जीवन बिताने वाले के लिए शुभ मुहूर्त माना जाता है. इसमें गृह पूजन उत्सव, कन्या विदाई सहित आदि शुभ कार्य किया जाता है. शुभ होने के कारण भद्रा में ही रक्षा बंधन पर्व का मनाया जाता है. इससे कार्यों की सिद्धी प्राप्ति में बाधा उत्पन्न नहीं होती है. शुभ कार्यों में वृद्धि होने के लिए भद्रा काली में यह त्योहार मनाया जाता है.
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