अंडा उत्पादन के िलए उपयुक्त है बांका: डीएम
सरकार उपलब्ध करायेगी ऋण काफी आमदनी होने की संभावना बांका : बांका जिला को अंडा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने को लेकर सोमवार को समाहरणालय स्थित यूको आरसेटी में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला का उद्घाटन जिलाधिकारी डॉ निलेश देवरे, नावार्ड के डीएम एस के शर्मा, बिहार विद्यापीठ उद्यभवन एवं उद्यमिता केंद्र के प्रबंधक […]
सरकार उपलब्ध करायेगी ऋण
काफी आमदनी होने की संभावना
बांका : बांका जिला को अंडा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने को लेकर सोमवार को समाहरणालय स्थित यूको आरसेटी में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला का उद्घाटन जिलाधिकारी डॉ निलेश देवरे, नावार्ड के डीएम एस के शर्मा, बिहार विद्यापीठ उद्यभवन एवं उद्यमिता केंद्र के प्रबंधक संजीव कुमार श्रीवास्तव, एलडीएम सुधांशु शेखर, यूको आरसेटी के डायरेक्टर निर्मल प्रकाश दीपक ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. डीएम ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार में अंडा के उत्पादन के लिए उपयुक्त वातावरण है. जिसमें बांका जिला सर्वोपरी है.
इस लिए तो अंडा उत्पादन के लिए हुए चयन में बांका जिला का नाम सबसे ऊपर है. ज्ञात हो कि बांका जिला एवं इससे सटे अनेकों जिलों में मक्का की खेती व्यापक स्तर पर होती है. जिसका उपयोग मुर्गी के दाने के लिए किया जाता है. वर्तमान समय में बिहार से मक्का आंध्रप्रदेश निर्यात होता है और वहां से अंडा आयात होता है. इस पर सरकार ने सोचा की क्यों ना यहां पर ही अंडा का उत्पादन किया जाय. क्योंकि मुर्गी का दाना अपने प्रदेश में ही पर्याप्त मात्रा में है. मालूम हो कि बिहार में आधे से अधिक बच्चे कुपोषण के शिकार है. प्रोटीन के पारंपरिक स्त्रोत दाल की प्रति व्यक्ति उपलब्धता काफी कम हो गयी है. जिससे यह आवश्यक है कि प्रोटिन की कमी को दूर करने के लिए अंडा के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाय.
बिहार में दूसरे राज्यों से आयात किया जाता है अंडा
बिहार में अंडा उत्पादन की मांग की अपेक्षा काफी कम है. जिससे कारण अंडे का आयात दूसरे राज्यों से किया जाता है. बिहार को अंडा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए बिहार विद्यापीठ ने बिहार राज्य नवपरिवर्तन परिषद, नावार्ड, बामेती, बैंकों एवं अन्य तकनीकि संस्थानों के सहयोग से अभियान शुरू किया गया है. जिसके अंतर्गत प्रगतिशील किसानों एवं सक्षम उद्यमियों को स्वरोजगार के माध्यम से अंडा उत्पादन इकाई की स्थापना के लिए यह कार्यशाला आयोजित की गयी है. वहीं नावार्ड के डीडीएम ने कहा कि अंडा उत्पादन की इकाई में किसी प्रकार की स्वसीडि सरकार के द्वारा नहीं दी जा रही है बाबजूद इसके जो उद्ययमी इसकी इकाई स्थापित करेंगे उन्हें काफी अच्छी कमाई होने की संभावना है. जो भी व्यवसायी इस व्यवसाय को अपनाना चाहते है उसके पास आठ-दस हजार वर्गफीट जगह होनी चाहिए.
लागत की राशी का 25 प्रतिशत लाभुकों को देय होगा. बाकि राशि बैंक ऋण के माध्यम से उपलब्ध करायेगी. इसके अलावे बिहार विद्यापीठ लाभुकों को उचित तकनीकी जानकारी एवं प्रशिक्षण, उत्पादन, बीमारियों का प्रबंधन, चारा प्रबंधन एवं समय समय पर कंपनियों के चिकित्सकों के द्वारा मार्गदर्शन करायेगी. वहीं अंडे की विक्री के लिए बाजार से जोड़ने के लिए उचित पैकेजिंग, डुलाई, भंडारण का प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन दिया जायेगा. कार्यशाला में शामिल 100 उद्ययमियों में 35 लोगों का आवेदन स्वीकृत हुआ. इस मौके पर आत्मा निदेशक राम कुमार, कृषि विज्ञान केंद्र के डॉ धर्मेंद्र कुमार, यूको आरसेटी के फकेल्टी नमामिश वत्स सहित अन्य उपस्थित थे.