हालात बेकाबू. शंभुगंज में चार दर्जन लोग चपेट में, गांव के स्कूल बंद
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डायरिया से अब तक पांच की मौत
हालात बेकाबू. शंभुगंज में चार दर्जन लोग चपेट में, गांव के स्कूल बंद शंभुगंज : प्रखंड क्षेत्र के ललवामोड़ गांव और बेलसीरा गांव में डायरिया ने महामारी का रूप धारण कर लिया है. इन दोनों गांव से अब तक डायरिया से पांच लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं स्वास्थ्य विभाग की टीम भी डायरिया […]
शंभुगंज : प्रखंड क्षेत्र के ललवामोड़ गांव और बेलसीरा गांव में डायरिया ने महामारी का रूप धारण कर लिया है. इन दोनों गांव से अब तक डायरिया से पांच लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं स्वास्थ्य विभाग की टीम भी डायरिया को काबू करने में दिन रात कैंप कर रही है. जानकारी के अनुसार, प्रखंड क्षेत्र के वारसावाद पंचायत के बेलसीरा गांव में डायरिया से अब तक दो लोग रंटु यादव पिता स्व सरयुग यादव (35) एवं शोभा कुमारी पिता धर्मवीर यादव (4) की मौत हो चुकी है. जबकि डायरिया से शकुंतला देवी, आरती कुमारी, दीपा देवी, सुनीता देवी, अर्चना देवी, कलावती देवी, सुखो यादव, ब्रह्मदेव यादव, सीताराम यादव, महेश यादव, भोली यादव,
अंकित यादव, राजेश कुमार, रौशन कुमार, गिरीश यादव, रीना देवी, अभिलाशा देवी, नीना देवी, सुलोचना देवी, सीमा देवी, कृष्णा यादव, सुरेश यादव सहित दस दर्जन से भी ज्यादा लोग अक्रांत हैं. वही मिर्जापुर पंचायत के ललवामोड़ गांव में डायरिया से नीतू कुमारी (12) पिता राजेंद्र शर्मा, श्वेता कुमारी (9) पिता रादेन्द्र शर्मा एवं अपने ननिहाल में रह रही शिवानी कुमारी (8) की डायरिया से अक्रांत होकर मौत हो गयी है. जबकि चार दर्जन से भी ज्यादा लोग अब भी अाक्रांत है.
इस घटना के बाद से ललवामोड़ गांव के सभी स्कूलों को शिक्षकों द्वारा बंद कर दिया गया है. इसकी सूचना प्रखंड के बीईईओ मणिकांत गुप्ता को भी दे दी गयी है. वहीं इन दोनों गांवों में डायरिया से हो रही मौत को लेकर ग्रामीणों में भय व दहशत का माहौल है. बताया जा रहा है कि प्रखंड क्षेत्र के वारसावाद पंचायत के बेलसीरा गांव में और मिर्जापुर पंचायत के ललवामोड़ गांव में कुएं का दूषित जल व ऊपरी लेयर वाले चापाकल का पानी पीने से गांव में लोगों का अचानक उल्टी व दस्त शुरू हो गयी थी. ग्रामीण जब तक कुछ समझ पाते तब तक यह रोग पूरा गांव में फैल गया. हालांकि सूचना पर पहुंचे सामुदायिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शंभुगंज की टीम ने गांव में कैंप कर डायरिया पीड़ित मरीजों को स्लाइन व सुई-दवा दे इलाज शुरू कर दिया है.
यहां के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ प्रमोद कुमार ने बताया कि ललवामोड़ गांव में डायरिया पर काबू पा लिया गया है. जबकि बेलसीरा गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने कैंप कर डायरिया पीड़ित मरीजों का इलाज शुरू कर दिया है. साथ ही दोनों गांव में जगह-जगह ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कराया जा रहा है. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने ग्रामीणों को कुएं व ऊपर लेयर के पानी वाले चापाकल के पानी पीने पर रोक लगा दी है.
कहते हैं सीएस
इधर सिविल सर्जन डॉ सुधीर महतो ने बताया कि दोनों गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम को तैनात कर डायरिया की रोक थाम के लिए हर संभव उपाय किये जा रहे हैं.
कैंप में चल रहा पीड़ितों का इलाज
मुख्य बिंदु
बेलसीरा गांव में दो व ललवामोड़ में तीन लोगों की मौत
चार दर्जन लोग अब भी हैं आक्रांत
स्वास्थ्य विभाग की टीम कर रही है कैंप
गांव के सभी स्कूल किये गये बंद
डॉक्टरों ने कुएं का पानी पीने से लोगों को किया मना
ऊपरी लेयर तक गाड़े गये चापकल का पानी भी नुकसानदेह
गांवों में किया जा रहा ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव
डायरिया का इलाज
डायरिया के उपचार में आहार का बड़ा महत्व है.
केले, चावल, सेब का मुरब्बा और टोस्ट का मिश्रण जिसे ब्राट कहते हैं, इसके इस्तेमाल से राहत मिलती है.
केले और चावल आंतों की गति को नियंत्रित करने और दस्त को बांधने में सहायता करते हैं.
सेब और केले में मौजूद पेक्टिन न केवल दस्त की मात्रा कम करता है बल्कि डायरिया को रोकने में भी प्रभावशाली भूमिका निभाता है.
पर्याप्त मात्रा में तरल और अन्य पोषक पदार्थ लेना आवश्यक है.
लेकिन अगर फिर भी डायरिया बढ़ रहा है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें.
आइये जानें, क्या है डायरिया
डायरिया का मतलब है बार-बार पतला दस्त होना. प्रत्येक दस्त के साथ शरीर के अंदर मौजूद पानी और नमक निकल जाता है, जिससे शरीर बहुत ज्यादा कमजोर हो जाता है. आमतौर पर डायरिया एक हफ्ते में ठीक हो जाता है लेकिन अगर ये इससे ज्यादा समय तक रहे तो ये क्रॉनिक डायरिया कहलाता है और इसका इलाज समय पर न होने से ये खतरनाक भी हो सकता है लेकिन इसे जरा सी सावधानी बरत कर ठीक भी किया जा सकता है.
कारण
गर्मी और प्यास लगने के कारण लोग सड़क किनारे कटे हुए फल और जूस पी लेते हैं, जिससे उन्हें डायरिया का खतरा चार गुना बढ जाता है.
पेट के कीड़ों या बैक्टेरिया के संक्रमण से.
वायरल संक्रमण के कारण.
आस-पास सफाई ठीक से न होने से.
शरीर में पानी की कमी होने से.
किसी दवाई के रिएक्शन से.
पाचन शक्ति कमजोर होने से.
कभी-कभी ज्यादा तैराकी करने से भी डायरिया हो सकता है.
डायरिया के लक्षण
जल्दी-जल्दी दस्त होना
पेट में तेज दर्द होना.
पेट में मरोड़ पड़ना.
उल्टी आना.
बुखार होना.
कमजोरी महसूस होना.
कारण
गर्मी और प्यास लगने के कारण लोग सड़क किनारे कटे हुए फल और जूस पी लेते हैं, जिससे उन्हें डायरिया का खतरा चार गुना बढ जाता है.
पेट के कीड़ों या बैक्टेरिया के संक्रमण से.
वायरल संक्रमण के कारण.
आस-पास सफाई ठीक से न होने से.
शरीर में पानी की कमी होने से.
किसी दवाई के रिएक्शन से.
पाचन शक्ति कमजोर होने से.
कभी-कभी ज्यादा तैराकी करने से भी डायरिया हो सकता है.
डायरिया के लक्षण
जल्दी-जल्दी दस्त होना
पेट में तेज दर्द होना.
पेट में मरोड़ पड़ना.
उल्टी आना.
बुखार होना.
कमजोरी महसूस होना.
बचाव
इस जानलेवा बीमारी से बचने के कई तरीके हैं, जैसे साफ-सफाई से रहना और स्वच्छ तरीके से पकाया हुआ भोजन खाना.
अगर आप मांसहारी हैं तो उसे खाते वक्त ध्यान रखें कि वह अच्छी तरह से पकाया गया हो, नहीं तो उसमें पैरासाइट्स हो सकते हैं जो डायरिया का कारण बन सकते हैं.
डायरिया कीटाणुओ की वजह से फैलता है इसलिये गर्मियों में खाना पकाने और खाने से पहले अपने हाथों को अवश्य धोएं. बाहर से आने के बाद हाथों को जरुर धोएं.
मसालेदार भोजन प्रकृति में एसिडिक होते हैं इसलिये इन्हें ना खाएं. इसके साथ ही कैफीन के ज्यादा सेवन से भी दूर रहें.
जमे हुए पानी में न नहायें
यह बीमारी पानी से बहुत जल्दी फैलती है. ध्यान रहे कि आप जहां भी पानी पियें वहां का पानी साफ सुथरा रहे. या फिर आप घर से पानी साथ ले कर चलें.
जब भी फल और सब्जियां खाएं, तो जरुर देखें कि वह ताजी होनी चाहिए. इसके अलावा उसे अच्छी प्रकार से धो कर ही खाएं.
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