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कैसे होगी िसंचाई, किसान िचंतित

मुसीबत. विभागीय उदासीनता का िशकार है घोघा बीयर, जनप्रतिनिधि मौन अमरपुर, फुल्लीडमर प्रखंड के अलावे भागलपुर सीमा के 84 मौजा की करीब 8 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है़ इस बीयर से धान की फसल के लिए प्रत्येक वर्ष 25 जुलाई से 25 अक्तूबर तक पानी छोड़ा जाता है़, लेकिन रबी फसल के लिए […]

मुसीबत. विभागीय उदासीनता का िशकार है घोघा बीयर, जनप्रतिनिधि मौन

अमरपुर, फुल्लीडमर प्रखंड के अलावे भागलपुर सीमा के 84 मौजा की करीब 8 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है़ इस बीयर से धान की फसल के लिए प्रत्येक वर्ष 25 जुलाई से 25 अक्तूबर तक पानी छोड़ा जाता है़, लेकिन रबी फसल के लिए पानी देने में यह नहर असक्षम है़
बांका : सिंचाई सृजन जल संसाधन विभाग कार्य प्रमंडल भागलपुर के अधीन घोघा बीयर उपेक्षा का शिकार है़ यह बीयर चांदन विलासी नहर परियोजना के नाम से जानी जाती है़ इसके अंतर्गत लेफ्ट बैंक केनाल से भागलपुर के शाहकुंड प्रखंड एवं विलासी लिंक से फुल्लीडुमर के विलासी नदी तक सिंचाई का कार्य किया जाता है़
यह बीयर 1965 में बनकर तैयार हुई थी़ तब से लेकर अब तक इस बीयर का नहर समतलीकरण गत 2009 में मात्र एक बार ही विभाग के द्वारा किया गया़ उसके बाद से इस बीयर को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है़ इस बीयर के कई आउटलेट टुटे पड़े हुए है तथा जगह-जगह नहर में लंबे दिनों से अवैध अतिक्रमण जारी है़ नहर के बीट में कई स्थानीय लोगों द्वारा बांस आदि लगाकर पानी के बहाव को कम कर दिया है़ नहर के बीच धार में कई जगहों पर छोटे-बड़े जंगली झाड़ी उग आये है़ं जिसकी साफ-सफाई नहीं होने से आये दिन किसानों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है़
जिला में नहीं है कार्यालय
भागलपुर डिवीजन से संचालित इस बीयर का पहले बांका में सब-डिवीजनल कार्यालय था जो हाल के दिनों में स्थानांतरित होकर भागलपुर के कंबाइंड ब्लिडींग में सिफ्ट हो गया है़ जिला में कार्यालय नहीं रहने के कारण इस बीयर का जहां रखरखाव नहीं हो पा रहा है़ वहीं किसानों की समस्या भी सुनने वाला कोई नहीं है़
क्या कहते हैं किसान
इस बीयर के सिंचिंत क्षेत्र में पड़ने वाले किसानों का कहना है कि पूर्व में नहर से पर्याप्त मात्रा में पानी प्राप्त होता था़ लेकिन विगत कई वर्षों से नहर की पानी में कमी आयी है़ ऐसे में खेती कार्य दुभर हो गया है़
नहर का तटबंध हुआ जर्जर.
बालू उठाव से प्रभावित हुआ है बीयर
चांदन नदी के अमरपुर प्रखंड अंतर्गत डुबौनी बालु घाट, ककना घाट, मंझगाय घाट, जेष्ठगौरनाथ घाट, मादाचक घाट, मालदेयचक घाट, चोकर घाट, भदरिया घाट, खंजरपुर घाट, वीरमा घाट, वासुदेवपुर, कुल्हरिया घाट, तारडीह घाट सहित विभिन्न जगहों के वैध व अवैध बालू घाट से लगातार हो रहे अत्यधिक बालू उठाव के कारण नदी का जल स्तर काफी नीचे चला गया है़ जिसके कारण बीयर के दोनों हिस्सों में पानी का बहाव कम हो गया है़ इससे किसानों की खेतों में कम पानी पहुंच रहा है़
विभाग में कर्मी की कमी
इस बीयर के रख-रखव के लिए एक कार्यपालक अभियंता सहित मात्र 4 जेई कार्यरत है़ विभाग नहर की रखरखाव के लिए डेली वेजेज पर कुछ कर्मी को बहाल कर रखा है. कर्मी की कमी के कारण नहर की सुरक्षा नहीं हो पा रही है़
घोघा बीयर की सिंचाई क्षमता
यह बीयर करीब 30 किलोमीटर लंबी है़ जिसके अंतर्गत एलबीसी की लंबाई करीब 20 किलोमीटर एवं सीबीसी की लंबाई करीब 10 किलोमीटर है़ जिससे अमरपुर, फुल्लीडमर प्रखंड के अलावे भागलपुर सीमा तक के 84 मौजा की करीब 8 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है़ इस बीयर से धान की फसल के लिए प्रत्येक वर्ष 25 जुलाई से 25 अक्तूबर तक नहर में पानी छोड़ा जाता है़ लेकिन रबी फसल के लिए पानी देने में यह नहर असक्षम है़
नहर की बीट है जीर्ण-शीर्ण
घोघा बीयर के एलबीसी एवं सीबीसी में नहर के दोनों छोर वाला बीट कई जगह जर्जर व टुट चुकी है़ विभाग के उदासीनता के कारण थक हार कर स्थानीय किसानों द्वारा चंदाचिठठा कर मरम्मति कार्य को अंजाम दिया जाता है़ जबसे से नहर का निर्माण हुआ है तब से लेकर आज तक नहर के बीट पर कोई ठोस कार्य नहीं किया गया है़ जिसके लंबे समय तक बारिश होने पर या बाढ़ की स्थिति में यह नहर टूट भी सकती है़

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