छल-कपट से हमेशा रहना चाहिए दूर

भागवत-कथा. झांकी देखने उमड़ी भीड़, भावविभोर हुए श्रद्धालु भगवान कृष्ण के बाल-लीला प्रसंग पर दिया प्रवचन कटोरिया : आज भी हमारे समाज कई पूतना हैं, जो वेश बदल-कर लोगों को ठगने का काम करते हैं. पूतना का अर्थ है, जो पवित्र नहीं है. जो अपवित्र है, वह अज्ञान है. जहां अज्ञान है, वहां अंधकार है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 23, 2016 5:25 AM

भागवत-कथा. झांकी देखने उमड़ी भीड़, भावविभोर हुए श्रद्धालु

भगवान कृष्ण के बाल-लीला प्रसंग पर दिया प्रवचन
कटोरिया : आज भी हमारे समाज कई पूतना हैं, जो वेश बदल-कर लोगों को ठगने का काम करते हैं. पूतना का अर्थ है, जो पवित्र नहीं है. जो अपवित्र है, वह अज्ञान है. जहां अज्ञान है, वहां अंधकार है. जहां अंधकार है, वहां भगवान नहीं रहते. भगवान हर समय प्रकाश में रहते हैं. इसलिए हमें अज्ञानता, अपवित्रता व छल-कपट से हमेशा दूर रहना चाहिए. उक्त बातें गुरूवार की रात घोरमारा पंचायत के लीलावरण हाईस्कूल के प्रांगण में भागवत कथा के पांचवें दिन बाल-लीला प्रसंग पर प्रवचन करते हुए गुरूकुल वृंदावन के कथावाचक पंडित चंदन जी महाराज ने कही. माखन चोरी, उखल बंधन, गोवर्धन पूजा आदि प्रसंगों पर भी उन्होंने व्याख्यान दिये. उन्होंने कहा कि जिस चीज से जीवन जुड़ा है, पूजा उसकी होनी चाहिये. जंगल, पेड़, पर्वत-पहाड़ से लोगों की जिंदगी जुड़ी है.
गोवर्धन की पूजा करने पर जब इंद्र कुपित हो जाते हैं, तो भगवान कृष्ण ग्वाल बाल सखाओं की मदद से गोवर्द्धन पर्वत को उठा कर सभी ग्रामीणों की रक्षा करते हैं. यह प्रसंग सामाजिक व राष्ट्रीय एकता का संदेश देती है. किसी भी विकट परिस्थिति में हमलोग एक-दूसरे का सहयोग करें. तभी कोई भी सार्वजनिक, सामाजिक व धार्मिक कार्य सफल होता है. गुरूवार को भागवत कथा के प्रारंभ में भगवान शंकर व काली की आकर्षक झांकी प्रस्तुत की गयी. जिसमें धोबनी गांव की पिंकू कुमारी व गुडि़या कुमारी ने क्रमश: काली व शंकर की भूमिका निभायी. आयोजन को सफल बनाने में पूजक सह अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद सिंह, उनकी पत्नी माया देवी, मुखिया नीरज कुमार, परमानंद यादव, दिलीप सिंह, दिनेश यादव, हालेश्वर यादव, ज्योतिष मंडल, सीताराम मंडल, राजा कुमार, अशोक यादव, योगेंद्र यादव, वीरेंद्र यादव, देवल मंडल आदि सराहनीय भूमिका निभा रहे हैं. भागवत कथा में लीलावरण, धोबनी, तरगच्छा, पपरेवा, कटोरिया, राधानगर, राजासारे, कठौन, मोचनावरण, उदयपुरा, टिटहीवरण, सौरी, पीपरा, कुरूमटांड़, कड़वामारण आदि गांवों से काफी संख्या में महिला-पुरूष श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं.

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