जिले में किसान एक बार फिर बिचौलिये के पास धान बेचने को मजबूर हैं. कई क्षेत्रों में पैक्स के माध्यम से धान की खरीद नहीं हो रही है. जहां हो भी रही है वहां इसकी गति काफी धीमी है.
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किसान फिर बिचौलियों के भरोसे अव्यवस्था. अब तक पैक्स में नहीं लिया जा रहा है धान
जिले में किसान एक बार फिर बिचौलिये के पास धान बेचने को मजबूर हैं. कई क्षेत्रों में पैक्स के माध्यम से धान की खरीद नहीं हो रही है. जहां हो भी रही है वहां इसकी गति काफी धीमी है. बांका : कृषि प्रधान बांका जिला में किसानों को खेती कार्य से लेकर अपनी फसल बिक्री […]
बांका : कृषि प्रधान बांका जिला में किसानों को खेती कार्य से लेकर अपनी फसल बिक्री तक के लिए कई समस्याओं से गुजरना पड़ रहा है. यहां की एक तिहायी आबादी का जीवकोपार्जन का एक मात्र साधन खेती-बारी है. चूंकी यह जिला जंगली और पठारी क्षेत्रों से घिरा हुआ है. यहां के कुछ प्रखंडों में सिर्फ वर्षा के सहारे एक मात्र फसल धान होती है. अन्य फसलों के लिए यह जमीन बंजर बनी रहती है. जिससे किसानों की हालत दिनों-दिन दयनीय होती जा रहीं है और किसान महाजनी का शिकार होने को विवश है.
कौन-कौन प्रखंड है जंगली व पहाड़ी: जिले के कटोरिया, चांदन, बेलहर और फुल्लीडुमर प्रखंड के कई भाग ऐसे है जहां जंगली व पठारी भूमि है. ऐसे में किसानों को सिर्फ धान की फसल ही मिल पाती है. धान की अच्छी पैदावार के लिए किसान कर्ज लेकर भी खेती करते है. जिसमें कई रसुखदार किसानों को तो बैंकों से केसीसी ऋण मिल जाता है. लेकिन कमजोर किसान केसीसी का लाभ लेने से वंचित रह जाते है और बिचौलियों से कर्ज लेने के लिए मजबूर होते है. ऐसे में धान तैयारी होने के बाद ही महजन किसानों के घर अपने पैसा की वसूली के लिए आ धमकते है. और मजबूरन किसानों को अपनी धान औने-पौने दाम में बिक्री कर उन्हें रूपया सूद समेत वापस करना होता है. एक ओर सरकार जहां किसानों की समस्या के समाधान के लिए कई तरह की योजना चला रखी है. तो वहीं दूसरी ओर धान क्रय केंद्र पर अब तक किसानों की धान की खरीदारी काफी धीमी चल रहीं है. साथ ही कई ऐसे धान क्रय केंद्र है जहां बिचौलिया भी हावी है.
कर्जदार कर रहे है पैसे की मांग: खेती के वक्त किसानों ने जिस कर्जदार से पैसे लिये थे अब वहीं कर्जदार फसल तैयार होने के बाद अपने पैसे की मांग कर रहे है. जब किसान पैसे देने पर मजबूर हो रहे है तो कर्जदार अपने मनमाने दर पर किसानों को फसल देने के लिए बाध्य कर रहे है. फुल्लीडुमर, बेलहर, चांदन, जयपुर, कटोरिया आदि किसानों के सामने यह बहुत बड़ी चुनौती है कि वह कैसे अपने कर्जदारों को पैसे वापस करें. किसानों की माने तो वह पैक्स के माध्यम से अपने धान को बेचने को तैयार है ताकि उनको प्रति क्विंटल धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल सके लेकिन अभी तो रजिस्ट्रेशन का कार्य ही चल रहा है. वैसे में अगर वह पैक्स में अपनी धान को दे भी देते है तो उनको मुआवजा अभी नहीं मिलेगा. ऐसे में वह आस पास के हाट में ही अपने फसल को बेच रहे है.
अब तक कितने किसानों का हुआ है पंजीकरण
बांका 1013
अमरपुर 2353
बाराहाट 808
बौंसी 941
बेलहर 625
चांदन 929
धोरैया 807
कटोरिया 349
फुल्लीडुमर 432
रजौन 1337
शंभूगंज 1557
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