profilePicture

पोषण पुनर्वास केंद्र पर नहीं पहुंच रहे अति कुपोषित बच्चे

बांका : सरकार ने जहां एक ओर कुपोषण मुक्त राज्य बनाने के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं को चला रखी है. वही दूसरी ओर जिले में कुपोषण दुर करने की योजना खटाई में चल रही है. आइसीडीएस के आंकड़ों के अनुसार जिले के विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों पर करीब 19 हजार अतिकुपोषित बच्चे नामांकित हैं. कुपोषण को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 23, 2017 3:22 AM

बांका : सरकार ने जहां एक ओर कुपोषण मुक्त राज्य बनाने के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं को चला रखी है. वही दूसरी ओर जिले में कुपोषण दुर करने की योजना खटाई में चल रही है. आइसीडीएस के आंकड़ों के अनुसार जिले के विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों पर करीब 19 हजार अतिकुपोषित बच्चे नामांकित हैं. कुपोषण को समाप्त करने के लिए सरकार ने जिले भर के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर अतिकुपोषित बच्चे की पहचान कर उन्हें विशेष आहार देकर उनका कुपोषण दूर करने की एक योजना चला रखी है.

इस योजना से भी अगर बच्चों का कुपोषण दुर नही होता है तो उन बच्चों के लिए सरकार ने जिला में पोषण पुनर्वास केंद्र खोल रखी है. यह केंद्र जिला मुख्यालय के सदर अस्पताल में मौजूद है, जहां पर अतिकुपोषित बच्चे व उसकी मां को आवासीय सुविधा देते हुए पौष्टिक आहार दिया जाता है. बावजुद इसके अतिकुपोषित बच्चे जिला पोषण पुनर्वास केंद्र तक नहीं पहॅुच पा रहे हैं. जिससे अतिकुपोषित बच्चों का आंकड़ा जिले में दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है.

कब हुई थी एनआरसी की स्थापना : जिले में अतिकुपोषण को दूर करने के लिए गत 26 जून 2011 को तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने बांका सदर अस्पताल में 20 वेड वाली पोषण पुर्नावास केंद्र का उदघाटन किया था जहां 19 पद सृजित है. पोषण केंद्र में 2 चिकित्सक, 8 एएनएम, 2 एटेन्डेंट, 2 स्वीपर, 2 कलर्क, 1 जांच कर्मी एवं 2 एफडी मौजूद है. बाबजूद इस पोषण केंद्र में 2011 से अब तक में मात्र 1548 अतिकुपोषित बच्चों का ईलाज किया गया है. जबकि जिले भर में हजारों की संख्या में बच्चे अतिकुपोषण के शिकार है. इससे साफ जाहिर होता है कि कुपोषण दूर करने के लिए विभाग का प्रचार-प्रसार कितना कारगर है.
कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में आईसीडीएस के डीपीओ डॉ राकेश कुमार ने बताया है कि विभाग द्वारा समय-समय पर एनआरसी को अतिकुपोषित बच्चों की सूची दी जाती है. अतिकुपोषित बच्चों का इलाज एनआरसी में किया जाता है. लेकिन एनआरसी में जागरूकता के अभाव में लक्ष्य के अनुरूप बच्चे व अभिभावक के नहीं पहुंचने से समस्या बढ़ी है.

Next Article

Exit mobile version