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छह जगह ही मिल रहा पानी

अव्यवस्था. पीएचइडी ने शहर में 21 जगहों पर की थी व्यवस्था गरमी बढ़ने के साथ ही जिले में जलस्तर तीन से चार फीट नीचे चला गया है. इससे कई क्षेत्रों में कुआं व चापकल से पानी नहीं मिल रहा है. और जल संकट गहरा गया है. बांका : जिले में बढ़ती गरमी के साथ पेयजल […]

अव्यवस्था. पीएचइडी ने शहर में 21 जगहों पर की थी व्यवस्था

गरमी बढ़ने के साथ ही जिले में जलस्तर तीन से चार फीट नीचे चला गया है. इससे कई क्षेत्रों में कुआं व चापकल से पानी नहीं मिल रहा है. और जल संकट गहरा गया है.
बांका : जिले में बढ़ती गरमी के साथ पेयजल संकट गहराने लगी है. यहां का जलस्तर करीब 3 से 4 फीट नीचे चला गया है. जिससे शहर के विभिन्न क्षेत्रों की चापाकल व कुंआ आदि पानी देने में विफल साबित होने लगे है. शहर के खास कर करहरिया, आनंद कॉलोनी, विजयनगर, चुड़ैली विदायडीह, जगतपुर, भयहरण स्थान मुहल्ला, नहरू कॉलोनी, ईदगाह रोड, सर्किट हाउस, अलीगंज मुहल्ला आदि इसके चपेट में है. यहां के अधिकतर सरकारी चापाकल ने पानी देना छोड़ दिया है. साथ ही पुराने जमाने के कई कुंआ आदि भी सूखने के कगार पर पहुंच चुके है. इन मुहल्ला के कई जगहों पर सप्लाई वाटर तक का कनेक्शन नहीं है
. ऐसे में कई मुहल्लेवासी को पानी के लिए अभी से ही दर-दर भटकना पड़ रहा है. रोजमर्रा काम भी बाधित हो रहा है. हालांकि अपनी प्यास बुझाने के लिए लोग डिब्बा बंद पानी का सहारा ले रहे है. शहर में मुख्य के सात निश्चय की हर घर नल का जल की योजना की शुरूआत भी नहीं हो सकी है. पीएचईडी विभाग की सप्लाई लाइन भी काफी पुराना होने के कारण इन मुहल्ला में पानी देने में अक्षम साबित हो रही है. उधर शहर में विभाग द्वारा 21 जगहों पर पानी के लिए स्टैंड पोस्ट लगाये गये है. जिसमें मात्र 6 ही चालू है. शेष स्टैड पोस्ट जर्जर होकर समाप्त हो चुका है.
कागजी साबित हो रहे ज्यादातर विभागीय दावे
जिले में सरकारी जलापूर्ति योजनाओं का हाल बेहाल हैं. शहर से लेकर ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं की स्थिति बदतर है. शहर में पीएचईडी की पाईप लाइन सभी वार्डों में नही है. जहां कही है भी तो रख-रखाव के अभाव में पानी देने में असक्षम है. शहर के आधे से अधिक वार्डों में अब तक पाईप लाइन का कनेक्शन भी नहीं हुआ है. ऐसे में इन वार्डों में वार्डवासियों सहित आमजनों को पेयजल की किल्लत झेलनी पड़ रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में विभाग की सौर ऊर्जा संचालित मिनी जलापूर्ति योजना भी पानी देने में कागजी घोड़ा साबित हो रहा है. हालांकि पीएचईडी विभाग मीनी जलापूर्ति योजना का डंका पीट रही है. लेकिन हकीकत यह है कि
जिले में पुराने योजना के तहत 177 यूनिट मिनी जलापूर्ति योजना के लक्ष्य के विरुद्ध 150 यूनिट चालू किया गया है. जिसमें सिर्फ तीन दर्जन यूनिट ही सही से काम कर रहा है. शेष जगहों पर पानी नहीं चल रही है. वहीं नये लक्ष्य में विभाग को 300 यूनिट प्राप्त हुआ है. जिसमें मात्र 15 यूनिट ही कार्यरत है. जबकि विद्युत चालित मिनी जलापूर्ति योजना का भी बुरा हाल है.
सरकारी चापाकल का भी है बुरा हाल: शहर में लगाये गये पुराने सभी चापाकल की हालत नाजुक बनी हुई है. अधिकतर जगहों की चापाकल टूट व खराब हो चुकी है. अगर कुछ जगहों पर बचा भी है तो वो पानी देने में असमर्थ है. विभाग द्वारा सरकारी चापाकल का मरम्मती कार्य बंद हो जाने से यह समस्या और बढ़ गयी है.

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