ताल-तलैया सुना,सूख रहे हलक
हलकान. मई-जून में ही गंभीर हुआ पेयजल संकट मई माह के प्रथम सप्ताह में ही कुंआ, तलाब व चापाकल में भी जल स्तर घटने से पेयजल संकट की स्थिति गंभीर होती जा रही है. कटोरिया : कटोरिया व चांदन प्रखंड क्षेत्र में बारिश के अभाव में ताल-तलैया, बांध-पोखर, नदी-जोर सब सूखे पड़े हैं. मई माह […]
हलकान. मई-जून में ही गंभीर हुआ पेयजल संकट
मई माह के प्रथम सप्ताह में ही कुंआ, तलाब व चापाकल में भी जल स्तर घटने से पेयजल संकट की स्थिति गंभीर होती जा रही है.
कटोरिया : कटोरिया व चांदन प्रखंड क्षेत्र में बारिश के अभाव में ताल-तलैया, बांध-पोखर, नदी-जोर सब सूखे पड़े हैं. मई माह के प्रथम सप्ताह में ही कुंआ व चापाकल में भी जल तर घटने से पेयजल संकट की स्थिति गंभीर होती जा रही है. गरमी व पेयजल संकट से आम-आवाम हलकान हो उठा है. इस विषम परिस्थिति में सबों की जुबान से ही एक ही बात निकल रही है
कि ‘बिन पानी ताल-तलैया सब सुन, कैसे कटेगा मई-जून’. चूंकि मई की शुरुआत में ही तापमान 40 डिग्री के पार चले जाने से कटोरिया व चांदन प्रखंड क्षेत्र के पहाड़ी व पठारी क्षेत्रों में जलस्तर नीचे चला गया है. नदी, तालाब, झरना सहित जल संचित स्थान सूख चुके हैं. आम लोगों के साथ-साथ पशु, पक्षी व अन्य जीव-जंतु बूंद-बूंद पानी के लिए तरसने लगे हैं.
कई पंचायतों में जल-संकट: प्रखंड के कटोरिया सहित कठौन, देवासी, दामोदरा, कटियारी, कोल्हासार, लकरामा, बड़वासिनी, मोथाबाड़ी आदि पंचायतों में कुआं व चापाकल का जलस्तर घटने से लोगों की चिंताएं बढ़ती जा रही है. चांदन प्रखंड के धनुवसार, उत्तरी बारणे, पूर्वी कटसकरा, पिमी कटसकरा, असुढा आदि पंचायतों में पेयजल संकट की हालत गंभीर बनती जा रही है.
बाजार में बिक रहे डब्बाबंद पानी: ग्रामीण इलाकों के साथ-साथ शहरी क्षेत्र भी पेयजल संकट से अछूता नहीं रहा है. कटोरिया बाजार में भी इन दिनों पेयजल के लिए प्रत्येक सुबह स्थानीय लोगों को दौड़ लगानी पड़ती है. देवघर रोड, सूइया रोड व थाना रोड में वाटर सप्लाई नहीं होने से लोग साइकिल में प्लास्टिक की जरकिन टांग कर चापाकलों में कतार लगने को विवश हो रहे हैं. बाजार में इन दिनों डिब्बाबंद पानी की बिक्री भी बढ़ गयी है. लोग 25 से 40 रुपये प्रति जार पानी खरीदने को मजबूर हैं.
कहते हैं कटोरियावासी: पेयजल संकट से जूझ रहे कटोरियावासी क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को कोस रहे हैं. वार्ड सदस्य अशोक केशरी, शिवपूजन वर्णवाल, सुजेंद्र गुप्ता, राजकुमार वर्णवाल, देवेंद्र वर्णवाल, भरत वर्णवाल, उदय गुप्ता, अमर साह, सुमित केशरी, बबलू गुप्ता, राजा हलवाई, देवाशीष कुमार आदि ने बताया कि पेयजल संकट की समस्या दूर करने की दिशा में उन्होंने वर्तमान व पूर्व सांसदों से भी गुहार लगायी, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है.
पशुपालकों की बढ़ी परेशानी
पेयजल संकट की स्थिति में सबसे अधिक परेशानी पशुपालकों को हो रही है. चूंकि बहियार व जंगलों में चरने वाले पशुओं को कहीं भी पानी नहीं मिल पा रहा है. घर में सुबह-शाम नाद में मवेशियों को चारा के साथ-साथ पर्याप्त पानी देना भी बड़ी पेरशानी बन रही है. जंगली क्षेत्र के जंगली जानवर व पक्षी जैसे वन सूअर, हिरण, नीलगाय, खरगोश, बंदर, मोर, तितर आदि को प्यास बुझाने में मुश्किल हो रही है.