बेलहर. प्रखंड क्षेत्र के नक्सल प्रभावित अति पिछड़ा बसमत्ता पंचायत के का धावाटाड़ गांव बरसात के दिनों में टापू बन जाता है. बेलहर सूईया थाना क्षेत्र के सीमा पर बसमत्ता पंचायत के सबसे अंतिम गांव धावतार में जाने के लिए रास्ता नहीं है. गांव के तीनों ओर बेलहरना डैम की पानी से घिरा हुआ है. एक रास्ता जो गांव तक जाती है. वह बेला गांव से बिजहरणी नदी पार कर जाना पड़ता है. जिस पर पुल एवं सड़क नहीं होने के कारण बरसात में लोगों के लिए परेशानी का सबब बन जाता है. ग्रामीण राजेश यादव, प्रमोद यादव, मिथुन यादव, मनोज यादव, पंकज यादव, धनंजय यादव, भूपेश कुमार, मिथिलेश कुमार, प्रदीप यादव, सिकंदर यादव, रविंद्र यादव, पीतांबर कुमार यादव, बालेसर खैर, अशोक यादव, राजेश यादव, लोचन यादव, शोभन यादव आदि ग्रामीण का कहना है कि गांव में आने के लिए आजादी के बाद से आज तक सड़क का निर्माण नहीं कराया गया, ना ही गांव में आने के लिए नदी पर पुल बनाया गया. जिससे लगभग 500 आबादी वाले इस गांव के लोगों को बरसात के दिनों में काफी किल्लत की जिंदगी जीने के लिए मजबूर होना पड़ता है. बीमार लोगों को गांव से बाहर इलाज के लिए ले जाने के लिए खटिया की डोली बनाकर नदी पार करनी पड़ती है. वहीं गांव में बरसात के दिनों में मोटरसाइकिल तक आना मुश्किल हो जाता है. वर्षा होने के कारण सड़क कीचड़मय हो जाता है और नदी में पानी रहने के कारण लोगों को कई घंटे तक पानी खत्म होने का इंतजार करना पड़ता है. जिस कारण इस गांव में नये मेहमान बरसात के दिनों में आना नहीं चाहते. ग्रामीणों में जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासनिक पदाधिकारी के प्रति काफी आक्रोश है. ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के समय नेता गांव जाकर केवल वादा कर चले जाते हैं. सड़क एवं पुल नहीं होने के कारण गांव के लोगों को हमेशा अपराधियों के आतंक का खामियाजा भुगतना पड़ता है. गांव आने के लिए चार पहिया वाहन को नदी के उसपार ही रुकना पड़ता है. नहीं तो करीब 20 किलोमीटर दूर तय कर सुईया की ओर से गांव में वाहन आ सकती है. जिसके चलते गांव में ना तो कभी एंबुलेंस आती है ना ही 112, पुलिस व अन्य वाहन.
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