चांदन डैम की गाद सफाई के लिए कैबिनेट में लगी मोहर
बांका जिले में किसानों के लाइफलाइन कहे जाने वाले चांदन जलाशय के गाद की सफाई जल्द आरंभ हो जायेगी.
10 वर्षों तक ड्रेजिंग के माध्यम से डिसिल्टेशन का होगा कार्य
75 करोड़ 36 लाख रूपये के अनुमानित राजस्व की भी होगी प्राप्ति
संजीव पाठक, बौंसी. बांका जिले में किसानों के लाइफलाइन कहे जाने वाले चांदन जलाशय के गाद की सफाई जल्द आरंभ हो जायेगी. मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में चांदन जलाशय से गाद निकालने के कार्य को हरी झंडी मिल गयी है. मंत्री परिषद की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार 10 वर्षों तक ड्रेजिंग के माध्यम से डिसिल्टेशन का कार्य किया जायेगा. मालूम हो कि इससे सरकार को करीब 75 करोड़ 36 लाख रुपए के अनुमानित राजस्व की भी प्राप्ति होगी. डैम में गाद की वजह से पानी स्टोरेज की क्षमता घट गयी है. डैम में गाद भरा रहने से किसानों को सुचारु रूप सिंचाई की सुविधा भी उपलब्ध नहीं हो पा रही है. चांदन डैम से भागलपुर एवं बांका जिले के बौंसी, बांका, बाराहाट, रजौन, धोरैया, अमरपुर, गोराडीह, सन्हौला एवं शाहकुंड प्रखंड के 67945 हेक्टेयर की भूमि की सिंचाई होती थी. गाद की समस्या का समाधान होने से भागलपुर एवं बांका जिले के किसानों को सालों भर सिंचाई की सुविधा मिलती रहेगी.
करीब 60 वर्ष के बाद होगी सफाई
इस डैम के निर्माण के करीब 60 साल के बाद पहली बार इसके गाद को निकाला जायेगा. पूर्व में भी विभागीय टीम के द्वारा जांच पड़ताल कर गाद को स्टोर करने के लिए 64 हेक्टेयर जमीन चिन्हित कर लिया गया था. जानकारों की माने तो इसके सफाई के बाद इसमें पुनः एक लाख 10 हजार क्यूसेक पानी का भंडारण हो सकेगा, जिससे 36 हजार हेक्टेयर जमीन पर किसान हर मौसम में फसल उपजा सकेंगे. गाद भर जाने से डैम की क्षमता अभी महज 45 हजार एकड़ फीट में ही रह गयी है.मुख्यमंत्री ने की थी गाद निकालने की घोषणा
चांदन डैम में गाद की समस्या के समाधान के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दो बार चांदन डैम आ चुके हैं. 19 जून 2018 को डैम पहुंचकर मुख्यमंत्री ने इसके गाद हटाने की घोषणा की थी. इसके बाद 9 जनवरी 2020 को पुनः सीएम डैम पहुंचे और विभाग के अभियंताओं को निर्देश दिया था कि शीघ्र इसकी रिपोर्ट संबंधित विभाग को देने का काम करें. उनके निर्देश के बाद जल संसाधन ,पथ निर्माण, भवन निर्माण विभाग एवं एनआईटी पटना के प्रतिनिधियों की जांच समिति गठित हुई थी. जांच समिति ने अपने रिपोर्ट भी सौंप दी है. 20 नवंबर 2019 को जल संसाधन विभाग के तत्कालीन मंत्री, प्रधान सचिव, खान एवं भूतत्व विभाग के सचिव और जल संसाधन विभाग के सचिव द्वारा इसका हवाई सर्वेक्षण भी किया गया था.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है