शंभुगंज हाट परिसर में वर्ष 1979 में हुआ था बैष्णवी दुर्गा मंदिर की स्थापना

मंदिर में नवमी को कन्या भोजन और दसवीं को ब्राह्मण भोजन कराये जाने की प्रथा मंदिर के स्थापना काल से ही चला आ रहा है. इस मंदिर के मेढ़पति जयप्रकाश साह है.

By Prabhat Khabar News Desk | October 6, 2024 8:29 PM
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– यहां दी जाती कूष्मांड की बलि शंभुगंज. शंभुगंज बाजार स्थित दुर्गा मंदिर में हर वर्ष शारदीय नवरात्र के मौके पर स्थापित होने वाली मां भगवती की महिमा अपरंपार है. वैष्णवी दुर्गा मंदिर की स्थापना सन् 1979 ई. में शंभुगंज के तत्कालीन प्रखंड प्रमुख छेदी सिंह, श्रवण मोदी, महेंद्र मंडल और हीरालाल साह के अगुवाई में समस्त बाजारवासियों के सहयोग से किया गया था. वर्तमान में शारदीय नवरात्र के मौके पर प्रति वर्ष इस वैष्णवी दुर्गा मंदिर में मां दुर्गा के साथ-साथ लक्ष्मी, सरस्वती, भगवान शंकर आदि की प्रतिमा स्थापित की जाती है. इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां पशु की बलि नहीं दी जाती है, बल्कि मां भगवती को सप्तमी से लेकर विजयदशमी तक कूष्मांड की बलि दी जाती है. साथ ही दूसरे पूजा को रेमन्त पूजा करने का परंपरा है, जो कि देश के गिने चुने मंदिरों में ऐसी प्रथा होती है. इस मंदिर में नवमी को कन्या भोजन और दसवीं को ब्राह्मण भोजन कराये जाने की प्रथा मंदिर के स्थापना काल से ही चला आ रहा है. इस मंदिर के मेढ़पति जयप्रकाश साह है. जबकि पंडित विजय मिश्रा हैं और यजमान के तौर पर राजेश निराला है. बताया जा रहा है कि इस मंदिर में वर्षों से कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम या नाटक आदि नहीं बल्कि धर्म की स्थापना करने और गांव समाज में धर्म का माहौल कायम करने के लिए समस्त शंभुगंज वासियों के सहयोग से वर्षों से श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया जाता रहा है. कथावाचक के तौर पर वर्षों से वृंदावन के प्रसिद्ध कथावाचक नित्य किशोर पुरोहित जी महाराज आ रहे हैं. शंभुगंज के वैष्णवी दुर्गा मंदिर में अष्टमी के मौके पर मां भगवती को डलिया चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है. जबकि नवमी को श्रद्धालु कन्या भोजन कराने के लिए दूर-दूर से आते हैं और दसवीं को ब्राह्मण भोजन कराने के साथ ही वैष्णवी दुर्गे मां की प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है. वैष्णवी दुर्गा मंदिर समिति के अध्यक्ष नवल किशोर राम के देख रेख में बाजारवासियों के सहयोग से आयोजन किया जाता है.

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